Devvrat Mahesh Rekhe, Dandakrama Parayanam: आज के दौर में जहां युवा किताबें छोड़कर सोशल मीडिया में डूबा रहता है वहीं महाराष्ट्र के महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के रहने वाले देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल युजुर्वेद के करीब 2000 मंत्रों का दंड कर्म पारायणम् सफलतापूर्वक पूर्ण कर इतिहास रच दिया है.
खास बात ये है कि उन्होंने यह उपलब्धि लगातार 50 दिनों में बिना किसी रुकावट के पूरा किया. महेश को वेदमूर्ति की उपाधि मिली है. आखिर क्या है दंड कर्म पारायण, हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है आइए जानते हैं.
क्या है दंड कर्म पारायणम्?
'दण्ड कर्म पारायणम्' एक प्राचीन और विशिष्ट पौराणिक अनुष्ठान है, जो ज्ञान को एक कर्मकांडीय स्वरूप प्रदान करता है. ये बेहद कठिन वैदिक परिक्षा है. इस अनुष्ठान का शाब्दिक अर्थ है अनुशासन या दंड से संबंधित कर्मों का पाठ. यह यजुर्वेद के मंत्रों का विशेष क्रम है जिसमें हर मंत्र को बिल्कुल सही स्वर, मात्रा, उच्चारण और शुद्धता के साथ पढ़ा जाता है.
क्या है महत्व ?
भगवान विष्णु के उपासकों के अगमों से प्रेरित यह क्रिया जीवन की गंभीर बाधाओं, कष्टों और शत्रु से मुक्ति के निवारण के लिए की जाती है, जिसमें साधक विशिष्ट मंत्रों के जरिए दैवीय दंड (दण्ड अर्घ्य दान) को नकारात्मक शक्तियों पर लागू करने की प्रार्थना करता है. यह वेदों, खासकर यजुर्वेद, के ज्ञान को गहनता से आत्मसात करने का महत्वपूर्ण तरीका है.
विशेष तरीके से पढ़े जाते हैं इसके मंत्र
दंड कर्म पारायणम् को सर्वोच्च और सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है क्योंकि इसमें मंत्रों को याद करके सामान्य क्रम में सीधा सुनाने के बजाय, एक विशिष्ट शैली में उल्टा और सीधा एक साथ पढ़ा जाता है.
दुनिया में सिर्फ 2 लोगों ने किया पारायण
दुनिया में अभी तक दो ही बार दंडक्रम का पारायण हुआ है. 200 साल पहले नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने दंडक्रम का पारायण किया था. इसके बाद बीते दिनों काशी में वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने दंडक्रम पारायण किया है.
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