Paush Month 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद 5 दिसंबर 2025 से पौष महीना शुरू हो जाएगा और 3 जनवरी 2026 तक रहेगा. पौष हिंदू कैलेंडर का 10वां महीना होता है, जिसमें ठंड (Winter Season) अपने चरम पर होती है और ओस (Dew) भी पड़ते हैं. कई राज्यों में तो अभी से ही शीतलहर (Cold Wave) का प्रकोप बढ़ने लगा है.
यदि आप इस महीने कुछ आयुर्वेदिक (Ayurveda) नियमों का पालन करें तो दिसंबर-जनवरी में बढ़ती ठंड और शीतलहर में पौष का महीना जीवनरक्षक की तरह साबित होगा. इस महीने हर उम्र के लोगों को अपने सेहत के विशेष देखभाल की जरूरत होती है. फिर चाहे वह खानपान को लेकर हो या रहन-सहन.
आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी ऐसा कहा गया है कि, पौष मास सालभर का ऐसा समय है जब शरीर को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है. इस मौसम में स्वास्थ्य कमजोर पड़ना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटना और सर्दी-जुकाम से लेकर जोड़ों के दर्द तक की समस्याओं में तेजी आती है.
स्वास्थ्य के लिए कैसे जीवनरक्षक है पौष मास
पंचांग के अनुसार पौष का महीना सूर्य के दक्षिणायण काल में पड़ता है और इसे शिशिर ऋतु का ही भाग माना जाता है. आयुर्वेद के मुताबिक इस समय शरीर की अग्नि यानी पाचन शक्ति सर्वोत्तम होती है. यही कारण है कि पौष मास में लिया गया पौष्टिक भोजन जल्दी पचता है और शरीर को बेहतर ऊर्जा देता है, जोकि स्वास्थ्य को लंबे समय तक मजबूत बनाए रखता है. इसलिए इस महीने में खानपान और दिनचर्या का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है.
पौष मास में जरूर अपनाएं आयुर्वेद के ये नियम
स्नान कर सूर्य देव को जल चढ़ाएं- पौष महीने में प्रतिदिन जल्दी स्नान करें और तांबे के लोटे से सूर्य देव को जल चढ़ाएं.
तिल, गुड़ और घी का सेवन बढ़ाएं- पौष का महीना शुरू होते ही तिल के लड्डू, गुड़, मूंगफली और घी जैसे गर्म तासीर वाली चीजों का सेवन बढ़ाएं. इन चीजों के सेवन से शरीर गर्म रहता है और सर्दी-जुकाम, जोड़ा का दर्द नहीं होता. आयुर्वेद में इन चीजों का वात-कफ को संतुलित करने वाला आहार माना जाता है.
गर्म पानी और काढ़े का सेवन- पौष या ठंड के दौरान पीने के लिए गुनगुने पानी का ही सेवन करें. साथ ही अदरक, दालचीनी, लौंग, तुलसी और काली मिर्च से बना काढ़ा भी पीएं. इससे खांसी-कफ जैसी समस्याएं दूर होती है.
हल्का व्यायाम करें- सूर्योदय से पूर्व उठकर हल्का योग, प्राणायाम और आसन करें. इससे ठंड में रक्त संचार बेहतर होता है और सर्दी के कारण होने वाली थकान और जड़त्व दूर होती है.
धूप में बैठे- पौष माह में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए प्राकृतिक ऊर्जा का कार्य करता है. जोकि रूम हीटर या अंगीठी जलाने से कई गुणा बेहतर है और सेहत के लिए भी लाभकारी है. खासकर सुबह की हल्की धूप विटामिन डी का स्रोत मानी जाती है. इसलिए स्नान के बाद कुछ समय धूप में बैठना अच्छा होता है.
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