Vyas Puja 2022: आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला व्रत आषाढ़ी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा (Vyas Purnima 2022) या गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2022) के नाम से भी जाना जाता है. इस साल व्यास पूर्णिमा 13 जुलाई दिन बुधवार को मनाई जाएगी. महर्षि वेदव्यास ने मनुष्य जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था. इसीलिए इन्हें चराचर जगत का प्रथम गुरु माना जाता है. इनके जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है. गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा. साक्षात गुरु पारब्रह्म तस्मै गुरु सर्वे नम:. गुरु की महिमा इस संसार में सर्वविदित है. गुरु को सभी देवों से बड़ा बताया गया है.


व्यास पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 13 जुलाई दिन बुधवार को 4:01 से होगा. आषाढ़ी पूर्णिमा का समापन 14 जुलाई दिन गुरुवार को देर रात 12:07 पर होगा.


व्यास पूजा का महत्व (Vyas Puja 2022 Importance)


गुरु का स्थान सर्वोपरि मानते हुए इस दिन गुरु की पूजा का बहुत अधिक महत्व है व्यास पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है और यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने की वजह से इसे आषाढ़ी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. गुरु का शाब्दिक अर्थ है कि वह प्रत्येक व्यक्ति जो आपको अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है.


इसीलिए इस दिन सिर्फ गुरु की पूजा का ही महत्व नहीं, बल्कि अपने समस्त बड़ों के पूजा का महत्व है. क्योंकि जो भी आपके अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करता है, वह आपका गुरु है. जो आपका उचित मार्गदर्शन करता है, वह आपका गुरु है. इसलिए प्रातः काल स्नान करके सच्चे और शुद्ध मन से अपने मार्ग दर्शक, अपने पालक और अपने गुरु का ध्यान करना चाहिए. इससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और इंसान संस्कार वान बनता है.



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