Vishwakarma Puja 2023: भगवान विश्वकर्मा की जयंती 17 सितंबर 2023 को मनाई जाती है. इस दिन कारीगर, फर्नीचर बनाने वाले, बुनाई, मशीनरी और कारखानों से जुड़े लोग भगवान विश्कर्मा की उपासना कर औजारों और उपकरणों की पूजा करते हैं. भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है.


मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि होती है. व्यक्ति की कला में निखार आता है. व्यापार दोगुनी तरक्की करता है. आइए जानते हैं इस साल विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि



विश्कर्मा पूजा 2023 मुहूर्त (Vishwakarma Puja 2023 Muhurat)


सुबह का मुहूर्त - 17 सितंबर 2023 को सुबह 07.50 -  दोपहर 12.26


दोपहर का मुहूर्त - 17 सितंबर 2023, दोपहर 01.58 - दोपहर 03.30


विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे अति शुभ योग (Vishwakarma Puja 2023 Yoga)


द्विपुष्कर योग - सुबह 10.02 - सुबह 11.08 (17 सितंबर 2023)


अमृत सिद्धि योग - सुबह 06.07 - सुबह 10.02 (17 सितंबर 2023)


ब्रह्म योग - 17 सितंबर 2023, प्रात: 04.13 - 18 सितंबर 2023, प्रात: 04.28


सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 06.07 - सुबह 10.02 (17 सितंबर 2023)


विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja vidhi)



  • विश्वकर्मा जयंती पर सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद ऑफिस, दुकान या अपने कार्यस्थल की अच्छी तर सफाई करें.

  • सारे उपकरण, मशीनों को साफ करना चाहिए. इनपर गंगाजल छिड़कें.

  • अब पूजा स्थल पर भी गंगाजल छिड़कर चौकी रखें और उसपर पीला कपड़ा बिछाएं.

  • चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें. कलश भी रखें. कुमकुम, हल्दी, अक्षत, फूल माला से भगवान की पूजा करें.

  • इसके बाद फूल अक्षत लेकर ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें.

  • इसके बाद सभी मशीन और औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें.


भोग लगाएं और भगवान विश्वकर्मा की आरती कर सभी में प्रसाद वितरण करें.


विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Ji Aarti)


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,


जय श्री विश्वकर्मा


आदि सृष्टि मे विधि को,


श्रुति उपदेश दिया ।


जीव मात्र का जग में,


ज्ञान विकास किया ॥


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...


ऋषि अंगीरा तप से,


शांति नहीं पाई ।


ध्यान किया जब प्रभु का,


सकल सिद्धि आई ॥


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...


रोग ग्रस्त राजा ने,


जब आश्रय लीना ।


संकट मोचन बनकर,


दूर दुःखा कीना ॥


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...


जब रथकार दंपति,


तुम्हारी टेर करी ।


सुनकर दीन प्रार्थना,


विपत सगरी हरी ॥


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...


एकानन चतुरानन,


पंचानन राजे।


त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,


सकल रूप साजे ॥


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...


ध्यान धरे तब पद का,


सकल सिद्धि आवे ।


मन द्विविधा मिट जावे,


अटल शक्ति पावे ॥


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...


श्री विश्वकर्मा की आरती,


जो कोई गावे ।


भजत गजानांद स्वामी,


सुख संपति पावे ॥


जय श्री विश्वकर्मा प्रभु...


सकल सृष्टि के करता,


रक्षक स्तुति धर्मा ॥


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