गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम स्थान दिया जाता है. इन्हें विनायक भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चतुर्थी के दिन श्रीगणेश जी की पूजा और व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. गौरतलब है कि हर महीने दो चतुर्थी आती है. पहली शुक्ल पक्ष को और दूसरी कृषण पक्ष में. शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है जबकि कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस महीने विनायक चतुर्थी 17 मार्च बुधवार को उत्तम योग में मनाई जाएगी.


तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त


बता दें कि फाल्गुन मास की शुक्ल चतुर्थी तिथि 16 मार्च को 8 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 7 मार्च को 11 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा दोपहर के समय की जाती है. पूजा का मुहूर्त 17 मार्च 2021 की सुबह 11 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. यानी पूजा के मुहूर्त की कुल अवधि 02 घंटे की रहेगी.


पूजा का लाभ


विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन में यदि कोई बाधा आ रही तो उसे दूर करने में मदद मिलती है. कोई गंभीर रोग से पीड़ित है तो उसे भी आराम मिलता है. उसकी पीड़ा दूर होती है. इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों को अगर पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा आ रही है तो वह भी दूर होती है. वहीं महिलाओं को मनचाही संतान प्राप्त होती है. ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा और व्रत करने से जीवन के बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं.


 व्रत के दौरान इन बातों का रखें खास ख्याल


जो भक्त विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले हैं उन्हें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. व्रत वाले दिन पूर्ण भक्तिभाव से व्रत को पूर्ण करें. इस दिन गणेश आरती और गणेश मंत्रों का उच्चारण करें. बुराई से दूर रहें. क्रोध न करें. वाणी मधुर रखें विद्यार्थी माता पिता का सुबह उठकर आर्शीवाद लें.


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