Vighanraj Sankashti Puja Vidhi: हिंदू पंचाग (Hindu Calander) के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha) की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष (Ashwin Month Krishna Paksha) की चतुर्थी को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighanraj Sankashti Chaturthi) कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश जी (Bhagwan Ganesh) को समर्पित है. इस दिन व्रत करने से भगवान की विशेष कृपा मिलती है. इस साल 24 सितंबर को विघ्नराज संकष्टी (Vighanraj Sankashti Chaturthi On 24th September) का व्रत रखा जाएगा. कहते हैं कि गणेश जी की पूजा करने से कुंडली में मौजूद बुध ग्रह (Budh Dosh In Kundali) मजबूत हो जाता है. गणेश भगवान बल, बुद्धि, विवेक और ज्ञान देने वाले माने जाते हैं. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को ये व्रत रखा जाता है. वहीं, अमावस्या के बाद की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. 


विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी महत्व (Vighanraj Sankashti Chaturthi Importance)
मान्यता है कि विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं. यही नहीं, पूजा से घर में शांति भी बनी रहती है. गणेश भगवान घर की सारी समस्याओं को दूर करते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस चंद्र दर्शन को भी शुभ माना जाता है. कहते हैं सूर्योदय के साथ शुरू होने वाला संकष्टी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है. पूरे साल में संकष्टी के 13 व्रत रखे जाते हैं. सभी संकष्टी व्रत की अलग-अलग कथा होती है.


विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी तिथि (Vighanraj Sankashti Chaturthi Tithi)
हिंदू धर्म में गणेश पूजा का विशेष महत्व है. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है. हर माह संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है, ताकि विग्नहर्ता भगवान गणेश सभी के दुख दूर कर सकें और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. विघ्नराज संकष्टी प्रारम्भ तिथि- प्रातः काल 08:29, 24 सितंबर से शुरू होकर, 25 सितंबर को सुबह 10:36 तक समापन होगा. 


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