Vidur Niti: महात्मा विदुर हस्तिनापुर के महामंत्री थे. वे बहुत ही बुद्धिमान, ईमानदार, कुशल राजनीतिज्ञ और विद्वान थे. उन्होंने हमेशा सत्य और धर्म का मार्ग अपनाया. इसीलिए महात्मा विदुर को धर्मराज का अवतार माना गया. महात्मा विदुर में इन्हीं गुणों के कारण इनकी प्रशंसा भगवान श्रीकृष्ण ने भी की थी और विदुर उनके अति प्रिय हो गए.


महाभारत के अनुसार यह सच है कि महाराजा धृतराष्ट्र न्याय और धर्म की तुलना में अपने पुत्र दुर्योधन के पक्ष में अधिक थे. इसके बादजूद महाराजा धृतराष्ट्र जीवन से जुड़े प्रमुख और गूढ़ विषयों पर महात्मा विदुर से सलाह लिया करते थे. उनके इन्हीं मशविरों का संकलन ही विदुर नीति है. यह विदुर नीति आज भी बहुत ही महत्वपूर्ण है. विदुर नीति के अनुसार व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होना है, तो उसे मीठा और बहुत ही सोच समझकर बोलना चाहिए.


व्यक्ति को हमेशा मधुर वाणी बोलना चाहिए      


विदुर नीति के अनुसार व्यक्ति की वाणी बहुत ही प्रभावशाली होती है. इसलिए व्यक्ति को हमेशा बहुत ही सोच समझकर बोलना चाहिए. जिस व्यक्ति की वाणी कर्कश और क्रोध भरी होती है. उससे हर व्यक्ति दूरी बनाकर रहना चाहता है. कटु या कठोर वाणी खुद को नुकसान पहुंचाती है या उसका कारण बन जाती है. विदुर जी कहते हैं कि जो कार्य धन और बल से नहीं हो सकता है. वह कार्य मधुर वाणी से किया जा सकता है. जो व्यक्ति जितना ही मीठा बोलता है, उसे जीवन में उतना ही सफलता मिलती है.


विदुर नीति के अनुसार मीठा बोलने वाला व्यक्ति सभी का प्रिय हो जाता है. अपनी मीठी वाणी के द्वारा लोग अपने दुश्मन को भी अपना मित्र बना  सकते हैं. व्यक्ति के अंदर मीठी वाणी के साथ-साथ विनम्रता भी आ जाये तो वह जीवन में हमेशा सफल रहेगा. मीठी वाणी और विनम्रता किसी भी व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाती हैं. ये व्यक्ति का आभूषण होती है. इन आभूषणों से सुसज्जित व्यक्ति श्रेष्ठता को प्राप्त करता है और हर क्षेत्र में सफलता का झंडा फहरा देता है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसका कोई दाम नहीं देना पड़ता है.  




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