नई दिल्ली: महाभारत का जिक्र विदुर के बगैर अधूरा है. विदुर धृतराष्ट्र के सलाहकार थे. धृतराष्ट्र ने एक बार उनसे महाभारत के युद्ध को लेकर उनकी राय जाननी चाही. तब विदुर ही पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने महाभारत के युद्ध को विनाश लाने वाला युद्ध बताया था. एक दासी पुत्र होने के बाद भी राजा पांडु ने अपने राज्य का प्रधानमंत्री बनाया था. धृतराष्ट्र के साथ हुए संवाद को ही विदुर नीति कहा जाता है. आइए जानते हैं कि क्या है आज की विदुर नीति-

संकट के समय होती है व्यक्ति की पहचान: एक बार धृतराष्ट्र ने विदुर से प्रश्न किया और पूछा कि विदुर जरा बताओ तो व्यक्ति की पहचान कब होती है. इस पर विदुर ने एक लंबी सांस लेने के बाद कहा कि महाराजा व्यक्ति की पहचान उसके अच्छे समय में नहीं होती है व्यक्ति की असली पहचान तो तब होती है जब संकटों से घिरा होता है.

संकटों के दौरान उसकी कुशलता और प्रतिभा का सही आकलन होता है. जो व्यक्ति संकट के समय अपना धैर्य खो देते हैं. परेशान और निराश हो जाते हैं वे किसी भी सूरत में गंभीर और प्रतिभा संपन्न नहीं होते हैं. इसांन तो वही है जो संकट की घड़ी में भी अपना धैर्य बनाए रखता है और निरंतर संघर्षरत रहता है, अपना आपा नहीं खोता है. संकट के समय भी उसका आत्मविश्वास कम नहीं होता है. ऐसे व्यक्ति ही असली इंसान कहलाते हैं. विदुर की इस व्याख्या से राजा धृतराष्ट्र बेहद प्रभावित हुए और उनकी सराहना की.

पति और पत्नी का सम्मान अलग अलग नहीं होता है: जो दंपति ये समझते हैं कि उनका सम्मान अलग अलग है वे सदा ही कष्ट में रहते हैं ऐसे लोगों के बीच गृहक्लेश की स्थिति बनी रहती है. जिससे परिवार,समाज और राज्य की भी क्षति होती है. क्योंकि व्यक्ति ही समाज की प्रथम इकाई है. वे दंपति जीवन में अधिक प्रसन्न और संपन्न होते हैं जो एक दूसरे के सम्मान को एक ही समझते हैं.

पति और पत्नी में जब अलग अलग सम्मान और प्रशंसा पाने की चाहत बढ़ जाती है तो दांपत्य जीवन तो प्रभावित होता ही है साथ ही साथ परिवार का तानाबाना भी प्रभावित होता है. इसलिए पति का सम्मान पत्नी है तो पत्नी का गौरव पति है. इस आवधारणा को न टूटने दें. इसी विश्वास से परिवार मजबूत होता है और दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है.

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