Vat Savitri Vrat 2021 Puja Vidhi: उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत का बहुत महत्त्व है. इसमें सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर सावित्री देवी के साथ वट वृक्ष की पूजा करती हैं. मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं यह व्रत पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए रखती है. इस व्रत का महत्त्व करवा चौथ जैसा होता है.  


कब और कैसे करें उत्तम पूजा


शुभ मुहूर्त: अमावस्या तिथि 10 जून को शाम 4 बजकर 22 मिनट तक है. परंतु आज सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. भारतीय समयानुसार, सूर्य ग्रहण दोपहर बाद 1 बजकर 42 मिनट पर लगेगा और शाम को 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा. चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इस लिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. ऐसे में वट सावित्री पूजा शाम 4 बजकर 24 मिनट तक की जा सकती हैं. यद्दपि वट सावित्री व्रत की पूजा के साथ –साथ बरगद की परिक्रमा सूर्य ग्रहण लगने के पहले कर ली जाए तो उत्तम होगा.



पूजा विधि: सुहागिन महिलाएं प्रातः काल नित्यकर्म, स्नानादि करने के बाद समस्त पूजन सामग्री के साथ देवी सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा लेकर निकट के वट वृक्ष के पास जाएं. वहां वट वृक्ष के नीचे सावित्री देवी की मूर्ति स्थापित कर बरगद के पेड़ की पूजा शुरू करें. वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं. इसके बाद पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना और मिठाई अर्पित करें. अब कच्चे धागे को 3 या 7 बार वट वृक्ष में परिक्रमा करते हुए लपेटें. इसके बाद हाथ में कला चना लेकर व्रत कथा को सुनें या पढ़ें. कथा सुनने के बाद चने का बायना निकल कर अपने सास को देकर आशीर्वाद लें.