Valentine’s Day 2023, Hazrat Nizamuddin and Amir Khusro Story: वैलेंटाइन डे (Valentine’s Day) प्यार करने वालों के लिए खास दिन होता है. प्रेमी जोड़ी, प्यार करने वाले लोग, पति-पत्नी सभी को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. हर साल 14 फरवरी के दिन को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है. लेकिन भारतीय संस्कृति में प्रेम का सही अर्थ क्या है यह अमीर खुसरो से जानें.


भारतीय इतिहास के महान साहित्यकार, उर्दू के जनक और सूफी (Sufi) संत अमीर खुसरो (Amir Khusro) ने प्रेम की उच्च पराकाष्ठा को समझाया. उन्होंने यह बताया कि, प्रेम किसी से भी किया जा सकता है, प्रेम आत्मीय और सम्मानीय होना चाहिए. ऐसा ही प्रेम अमीर खुसरो ने अपने गुरु हजरत निजामुद्दीन औलिया (Hazrat Nizamuddin Auliya) से किया था. गुरु के प्रति खुसरो का ऐसा प्रेम था कि, हजरत के मुख से निकला कि इसकी कब्र भी मेरी कब्र के पास ही बनाना. दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन औलिया का सूफी मकबरा है, जोकि एक पवित्र दरगाह है और इसी के सामने लाल पत्थर से अमीर खुसरो का मकबरा बना है.


 



खुसरो से जाने अद्भुत गुरु प्रेम का अर्थ


‘’खुसरो दरिया प्रेम का, वाकी उल्टी धार, जो उबरा सो डूब गया जो डूबा सो पार’’


ये दोहा अमीर खुसरो का है, जिन्होंने आज से लगभग 700 साल पहले ही प्रेम की सही परिभाषा अपने इस दोहे के जरिए समझा दी थी. इस दोहे का अर्थ है कि, प्रेम एक ऐसा समुंदर है जिसकी धार उल्टी होती है. जो इस प्रेम-दरिया से अलग है वह इस भवसागर में डूब जाता है और जो इस प्रेमदरिया में डूबता है वह इस संसार से पार हो जाता है.


प्रेम सिर्फ बांटने के  लिए होता है. जब हम किसी को प्रेम देते हैं तो उससे कहीं ज्यादा खुशी और प्रेम हमें वापस खुद ब खुद मिल जाता है. इसलिए प्रेम पाने की इच्छा रखने के बजाय प्रेम बांटने की कोशिश होनी चाहिए.


भारतीय साहित्य गुरु शिष्य की कथाओं से परिपूर्ण है. इसमें अमीर खुसरो-हजरत निजामुद्दीन, कबीर-रामानंद, एकलव्य-द्रोणाचार्य, विवेकानंद-रामकृष्ण परमहंस जैसे कई उदाहरण हैं. जिन्होंने गुरु-शिष्य के प्रेम और संबंध की पवित्रता को दर्शाया. शिष्य के लिए उनके गुरु ही ईश्वर होते हैं, जिनकी प्रेम भक्ति में उनका जीवन बीतता है. कुछ ऐसी ही प्रेम भक्ति हजरत के लिए खुसरो की भी थी.  


खुसरो ने यूं जीता हजरत का दिल


एक बार हजरत निजामुद्दीन ने सोचा कि उसके तो कई शिष्य हैं, लेकिन सच्चा शिष्य कौन है और उनसे सबसे अधिक प्रेम कौन करता है? इसके लिए उन्होंने अपने शिष्यों की परीक्षा लेने की सोची. वे अपने 22 शिष्यों को लेकर दिल्ली घूमने निकले. घुमते-घुमते रात हो गयी और वे शिष्यों के साथ एक वैश्या के कोठे पर पहुंचे. उन्होंने शिष्यों को नीचे खड़े रहने का आदेश दिया और खुद कोठे के ऊपर चले गए. हजरत ने वेश्या से कहा कि, मेरे लिए नीचे से भोजन का प्रबंध करो और एक शराब की बोतल में पानी मंगवाना, जिसे देख नीचे मेरे शिष्यों को वो शराब की बोतल लगे.


इस तरह जब बाहर से भोजन और शराब की बोतल ऊपर कोठे में जाने लगी तो सारे शिष्य दंग रह गए. उन्होंने सोचा कि आखिर ऐसा कैसे हो गया? जो गुरु हमें सद्मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं वो खुद ऐसे काम कर रहे हैं. धीरे-धीरे रात भी बीतने लगी थी लेकिन हजरत बाहर नहीं आ रहे थे. इस तरह से एक-एक शिष्य अपने घर को लौटने लगे. लेकिन खुसरो वहां से हिले भी नहीं.


सुबह जब हजरत नीचे उतरे तो देखा कि सारे शिष्य चले गए हैं. खुसरो को देख हजरत ने पूछा ,सब चले गए तो तू यहां क्यों रुका...तू क्यों नहीं भागा?  क्या तूने नहीं देखा कि मैंने सारी रात वैश्या के साथ बिताई और शराब भी मंगवाई थी? अमीर खुसरो बोले- सब अपने-अपने घर को चले गए. मैं भाग भी जाता तो कहां जाता. आपके कदमों के सिवा मुझे कहां चैन मिलता. मेरी तो सारी जिंदगी आपके चरणों में अर्पण है. खुसरो का प्रेम देख हजरत निजामुद्दीन को बहुत खुशी हुई और इस तरह से उन्हें अपना सच्चा शिष्य मिला, जिसे उन्होंने आशीर्वाद दिया.


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