Swara Bhasker Baby Name: अभिनेत्री स्वरा भास्कर (Actress Swara Bhasker) ने सपा नेता फहद अहमद (Fahad Ahmad) से इसी साल 16 फरवरी को शादी की थी. अब स्वरा ने एक नन्ही परी को जन्म दिया है, जिसका नाम उन्होंने राबिया (Raabiyaa) रखा है.


स्वरा ने सोशल मीडिया पर बेटी की फोटो साझा करते हुए अपने प्रशंसकों को इसकी जानकारी दी कि, उन्होंने 23 सितंबर 2023 को बेटी को जन्म और उसका नाम राबिया रखा. स्वरा भास्कर की बेटी का नाम खूब चर्चा में बना हुआ है. लेकिन इसका कारण क्या है, आइये जानते हैं-


दरअसल राबिया एक मुस्लिम नाम है और यह सूफी संत से भी जुड़ा है. बता दें कि, राबिया बसरी (Rabia Basri) इराक की पहली महिला सूफी संत थीं, जिन्हें तप, संघर्ष और इबादत के लिए जाना जाता है. राबिया ने लोगों को मानवता की शिक्षा दी. राबिया बसरी को हजरत बीबी राबिया बसरी, राबिया अल बसरी और बस राबिया बसर जैसे नामों से भी जाना जाता है. जानते हैं पहली महिला सूफी संत राबिया बसरी के जीवन से जुड़े दिलचस्प पहलुओं के बारे में.


राबिया पर बन चुकी हैं फिल्म- राबिया बसरी के जीवन पर फिल्म भी बन चुकी है. राबिया का जीवन तुर्की सिनेमा द्वारा कई चलचित्रों का विषय रहा है. इनमें से 1973 में रिलीज हुई एक फिल्म थी राबिया. जिसका निर्देशन उस्मान एफ सेडेन ने किया था. फात्मा गिरिक ने इसमें राबिया की भूमिका निभाई थी. राबिया, (राबिया, द फर्स्ट वूमेन सेंट), राबिया पर एक और तुर्की फिल्म, 1973 की भी सरेया डुरु द्वारा निर्देशित और हुलिया कोइकियेट द्वारा अभिनीत थी.


हद तपे तो औलिया, बेहद तपे सो पीर


हद बेहद दोऊ तपे, वाको नाम फकीर।।


एक सूफी कहावत के अनुसार 'हद' और 'बेहद' को पार करने के बाद ही कोई व्यक्ति तन-मन से ऊपर उठकर संत-फकीर बन पाता है. सूफी संत तो अपनी रूह (आत्म-तत्व) को परमात्मा के साथ जोड़ लेते हैं. फिर स्त्री-पुरुष, अमीर-गरीब जैसी बातों का अर्थ ही यहां खत्म हो जाता है. ऐसे ही कष्ट और साधना से तपकर राबिया भी पहली महिला सूफी संत बनीं.




पहली महिला सूफी संत राबिया बसरी


भक्ति, तपस्या और प्रेम की निर्गुण परंपरा में किसी महिला संत का नाम बहुत कम ही गूंजता है. लेकिन राबिया नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है. राबिया ऐसी सूफी संत थीं, जिन्होंने खुद को परमात्मा के लिए पूरी तरह से समर्पित कर दिया. सूफी संतों का ऐसा मानना है कि, परमात्मा इंसान को बाहरी तौर पर नहीं, बल्कि कर्मों के आधार से परखते हैं.


इसी तरह राबिया भी कई कष्टों और साधना से तपकर पहली महिला सूफी संत बनीं. उसने परमात्मा से कहा, हे परमात्मा! अगर मैंने नर्क के भय से आपकी उपासना की हो, तो मुझे बेशक नर्क की अग्नि में डाल दें. अगर मैंने आपकी उपासना स्वर्ग की लालसा में की हो तो, तो मुझे स्वर्ग से वंचित कर दें. लेकिन हे परमात्मा! अगर मैंने आपकी उपासना केवल आपको पाने के लिए की है, तो मुझे अपनी कृपादृष्टि से महरूम न कीजिए.


राबिया बसरी की जीवनी (Rabia Basri Biography in Hindi)


राबिया का जन्म और परिवार-


मशहूर सूफी संत और 114 किताबों का लेखक 'हजरत फरीदुद्दीन अत्तार' ने अपनी किताब ‘तजकिरात उल औलिया’ में राबिया की जीवनी के बारे में लिखा है. राबिया बसरी का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में 714 ईसवी में बरसा (इराक) में हुआ था. राबिया माता-पिता की चौथी बेटी थी. कहा जाता है कि राबिया का परिवार इतना गरीब था कि, जिस दिन राबिया का जन्म हुआ  तो उसके घर में चिराग जलाने के लिए तेल भी नहीं थी. लेकिन उसी रात राबिया के माता-पिता को स्वप्न में किसी दिव्य दृष्टि ने कहा कि, यह परमात्मा की प्रिय बच्ची है और आगे चलकर यह परमात्मा से जुड़ेगी. यही बच्ची एक बड़ी संत भी बनेगी.


राबिया के जन्म के कुछ समय बाद उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई. इसके बाद राबिया को एक गुलाम को बेच दिया गया. राबिया के सिर से माता-पिता का साया पहले ही उठ चुका था और इस तरह से वह अपने बहनों से भी अलग हो गई. कहा जाता है कि एक दिन राबिया के मालिक ने उसके आस-पास एक अद्भुत रोशनी देखी , जिसके बाद उन्होंने उसे आजाद कर दिया.




राबिया का आध्यात्मिक सफर-


राबिया का आध्यात्मिक सफर इश्क-ए-हकीकी की मिसाल है. राबिया का जीवन कष्ट और गरीबी में था. लेकिन इसके बाद भी वह परमात्मा से जुड़ी रहीं. मालिक द्वारा आजाद किए जाने के बाद राबिया अपने आध्यात्मिक सफर के लिए एकांत की तरफ निकल पड़ी और उन्होंने हजरत हसन बसरी को अपना मुर्शीद यानी गुरु बनाया. राबिया ताउम्र अविवाहित ही रही और लोगों को मानवता की शिक्षा देती रही.


शादी को लेकर राबिया का कहना था कि, वह सबसे अधिक स्नेह अपने परमात्मा से करती है. उनके पास परमात्मा के अलावा किसी भी दूसरे काम को वक्त नहीं देना चाहती. उन्होंने अपने समय के सूफी संतों की आलोचना भी की और आगे बढ़ने में मदद भी की. राबिया बसरी इराक की पहली महिला सूफी संत थी, जिसने भविष्य की महिला संतों के लिए रास्ता बनाया. सन 801 में राबिया की मृत्यु हो गई. राबिया की दरगाह येरुशलम के करीब है. जीवनभर की संपत्ति के नाम पर उनके पास एक ईख की चटाई, एक मिट्टी का जग और एक विस्तर था. इन सभी चीजों का इस्तेमाल वह इबादत करने के लिए किया करती थीं.


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