सौरमंडल के स्वामी और ग्रहों के अधिष्ठाता सूर्यदेव मृगशिरा नक्षत्र में 8 जून 2021, मंगलवार की सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश लेंगे. मित्र ग्रह मंगल के नक्षत्र में मंगलवार को प्रवेश सूर्य के प्रभाव को बढ़ाएगा. इसी नक्षत्र में सूर्यदेव को 10 जून को ग्रहण भी लगेगा. इस प्रकार आगामी दिनों में मृगशिरा ऩक्षत्र महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं का साक्षी बनेगा. यहां सूर्य 21 जून तक रहेंगे. 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है. इसके बाद दिन छोटा और रात बड़ी होने लगती है. मृगशिरा नक्षत्र सूर्य ग्रहण और गोचर मध्य भौगोलिक क्षेत्रों में बड़ी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होता है. 


मृगशिरा नक्षत्र तीन तारों से मिलकर बनता है. इसमें दो तारे मृग यानि हिरण की आंखों और एक सिर को प्रदर्शित करता है. मृगशिरा का आधा भाग वृष राशि और शेष भाग मिथुन राशि में आता है. इसके देवता चंद्रमा और ग्रह स्वामी मंगल हैं. इस नक्षत्र पर सूर्य चंद्र और मंगल का संयुक्त प्रभाव इसे प्रभावशाली बनाता है. साथ ही वृष और मिथुन के स्वामी ग्रह क्रमशः शुक्र व बुध हैं. इस प्रकार पांच ग्रहों के प्रभाव से सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में भ्रमण अप्रत्याशित परिणामों को लाने वाला है. सभी को इन दिनों सूर्य को अर्घ्य देकर उनके सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाना चाहिए. सूर्य धनधान्य और ऐश्वर्य देने वाले हैं. उनकी तीव्रता उत्तर भारत में भीषण गर्मी की संकेतक होगी है. इसी फलस्वरूप अच्छे मानसून आता है.


10 जून को कंकणाकृति सूर्यग्रहण का आरंभ दिन में 1 बजकर 42 मिनट से होगा. ग्रहण का मध्य 3 बजकर 30 मिनट पर होगा. ग्रहण को मोक्ष अर्थात् पूर्णता शाम 5 बजकर 4 को होगा. ग्रहण के प्रभाव से प्रमुख रूप से वायु और पृथ्वी तत्व की राशियां होगी. अग्नि एवं जल तत्व की राशियों पर प्रभाव सामान्य एवं सकारात्मक रहेगा. भारत में सूर्यग्रहण दृश्यमान नहीं होने से इससे संबंधित धार्मिक मान्यताएं प्रभावी नहीं होंगी. सूतक भी मान्य नहीं होगा. हालांकि सूर्यग्रहण में सूतक 12 घंटे पहले से माना जाता है.