Shri Krishna Janmashtami 2021: श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. कृष्ण के भक्त उनके जन्मोत्सव, जन्माष्टमी का पर्व मनाने की तैयारी कर रहें हैं. ऐसे में यह जान लेना उपयुक्त होगा कि भगवान श्री कृष्ण के साथ मोर पंख और उनकी प्रिय मुरली हमेशा साथ रहती थी. आखिर क्यों? आइए जानते हैं कि भगवान कृष्ण से जुड़ी मुरली और  मोरपंख का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है.



श्री कृष्ण क्यों धारण करते हैं मुरली?


भगवान श्री कृष्ण को मुरलीधर भी कहते हैं, क्योंकि ये हमेशा अपने साथ मुरली धारण किये रहते हैं. इसकी ध्वनि बहुत ही सुरीली और मंत्र मुग्ध कर देने वाली होती है. ये मुरली, जिसे बांसुरी भी कहते हैं. यह सीख देती है कि हमें सभी लोगों के साथ मीठा बोलना चाहिए और सबके साथ सुन्दर एवं सरल व्यवहार करना चाहिए. इस बासुंरी में कोई गांठ नहीं होती. भगवान कृष्ण जब चाहते हैं तभी इसे बजाते हैं. बिना जरूरत के यह नहीं बजती है. इसी प्रकार मनुष्य के अंदर किसी भी दूसरे व्यक्ति के लिए गाँठ बनाकर नहीं रखनी चाहिए और नहीं बिना जरूरत के बोलना चाहिए. जब कोई जरूरी बात कहनी हो तभी बोलना उत्तम होता है. 


मुकुट में मोर पंख


भगवान श्री कृष्ण के मुकुट में हमेशा मोर पंख लगा रहता है. क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख और गाय अति प्रिय होती है. इसी लिए वे अपने मुकुट में मोर पंख लगाये रहते थे. कहा जाता है कि मोर एक ब्रह्मचारी प्राणी होता है. भगवान श्री कृष्ण भी प्रेम में ब्रह्मचर्य की महान भावना को समाहित किये हुए है . इसी लिए ब्रह्मचर्य के प्रतीक स्वरूप मोर पंख धारण किये रहते थे. यह भी मान्यता है कि भगवान कृष्ण की कुंडली में कालसर्प दोष था. कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए वे सदैव अपने मुकुट में मोर पंख लगाये रहते थे.