Mangla Gauri Vrat 2023: सावन का महीना बहुत ही पवित्र महीना है. यह माह भगवान शिव की पूजा-व्रत के साथ ही माता पार्वती की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि सावन में पड़ने वाले सभी मंगलवार के दिन मां मंगला गौरी यानी मां पार्वती की पूजा की जाती है और मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है.


इस साल सावन महीने में अधिक मास लगा है, जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है. मलमास लगने के कारण इस बार सावन का महीने पूरे 59 दिनों का है, जिसमें कुल 9 मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे. 15 अगस्त 2023 को सावन का सातवां और अधिक मास का आखिरी मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा. जानते हैं मंगला गौरी व्रत का महत्व और इसकी पूजा विधि के बारे में.



मंगला गौरी व्रत का महत्व (Mangla Gauri Vrat 2023 Importance)


मान्यता है कि, मंगला गौरी का व्रत सबसे पहली बार मां गौरी ने रखा था. मां गौरी ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को किया था. मंगला गौरी का व्रत रखने से कुंडली में मंगल दोष दूर होता है, वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां दूर होती हैं और कुंवारी कन्या यदि इस व्रत को करती हैं तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है. संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी मंगला गौरी का व्रत शुभ फलदायी होता है.


मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangla Gauri Vrat 2023 Puja Vidhi)


मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद साफ कपड़े पहन लें. पूजाघर में दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें. अब एक लकड़ी की चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर इसमें मां पार्वती और शिवजी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. मां गौरी सिंदूर लगाएं और धूप, नैवेद्य, फूल, फूल, भोग आदि अर्पित कर पूजा करें. इसके बाद सुहाग का सामान भी चढ़ाएं. सुहाग का सामान और पूजा सामग्रियों की संख्या 16 में होनी चाहिए. इसके बाद मंगला गौरी की व्रत कथा पढ़ें और मां गौरी की आरती करें.


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