Sawan Somwar 2023 Highlight: सावन का दूसरा सोमवार आज, जानिए आज के दिन शिव जी की पूजा में क्या करें विशेष

Sawan Somwar 2023 Highlight: आज 17 जुलाई को सावन महीने के दूसरे सोमवार का व्रत रखा जाएगा. सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है. इस दिन किए पूजा-व्रत और उपाय से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं.

ABP Live Last Updated: 17 Jul 2023 02:57 PM
सावन सोमवार पर चढ़ाएं शिवा मुठ्‌ठी

सावन सोमवार की पूजा में शिवलिंग पर 5 प्रकार के अनाज चढ़ाने से हर कष्ट का निवारण हो जाता है. इसे शिवा मुठ्‌ठी कहते हैं, इसमें काला तिल, जौं, अरहर दाल, मूंग दाल और अक्षत शामिल है. शिवलिंग पर ये सभी अनाज एक-एक मुठ्‌ठी चढ़ाए जाते हैं कहते हैं इससे शिव जी अति प्रसन्न होते हैं और ग्रहों की अशुभता दूर होती है

शनि दोष दूर करेगा सावन सोमवार का ये उपाय

आज सावन सोमवार की शाम पीपल के पास तेल का दीपक लगाकर शनि स्तोत्र का पाठ करें, मान्यता है कि इससे शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं.

सावन के तीसरे सोमवार पर इस समय करें रुद्राभिषेक

पंचांग के अनुसार सावन के तीसरे सोमवार के दिन सूर्योदय से लेकर रात्रि तक शिववास है. शिववास में रुद्राभिषेक फलित होता है. ऐसे में आप आप किसी भी शुभ समय में रुद्राभिषेक कर सकते हैं. शिव पाजी के लिए रुद्राभिषेक बहुत महत्वपू्र्ण माना जाता है.

पितृदोष से मुक्ति के लिए सावन सोमवार पर लगाएं 5 पौधे

सावन के दूसरे सोमवार पर आज हरियाली अमावस्या का संयोग बना है. सावन की हरियाली अमावस्या पर कुछ विशेष पौधे लगाने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन तुलसी, पीपल, बरगद, शमी, बेल का पेड़ लगाना शुभ माना गया है. इन पौधों को रोंपने के बाद इनके संरक्षण का संकल्प भी लें तभी फायदा मिलेगा.

शीघ्र विवाह के लिए सावन सोमवार की शाम करें ये उपाय

सावन के तीसरे सोमवार को शाम के समय तालाब के साफ मिट्टी से 108 शिवलिंग बनाएं. पान के पत्ते पर एक लौंग और इलायची रखकर भगवान शिव को अर्पित करें और 'ओम गौरी शंकराय नम:' और 'ओम पार्वतीपताय नम:' मंत्रों का 108 बार जाप करें. मान्यता है इससे विवाह की अड़चने दूर होती है.

Sawan Somwar 2023 Wishes: सावन सोमवार की शुभकामनाएं


सावन के दूसरे सोमवार पर पूजा में शिवजी के इन मंत्रों का जाप करें

सावन के दूसरे सोमवार पर जरुर करें इन शिव मंत्रों का जाप



  • ॐ नम: शिवाय

  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

  •  ॐ नमो भगवते रुद्राय

  • ॐ हं हं सह:

  • ॐ नमः शिवाय व्योमकेश्वराय

  • ॐ पार्वतीपतये नमः

  • ॐ नमः शिवाय गङ्गाधराय

  • ॐ नमः शिवाय शान्ताय

सावन सोमवार के दिन जरुर करें शिव चालीसा का पाठ

शिव चालीसा (Shiv Chalisa)


श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
 
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥


अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥



मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥



नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥



देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥



तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥



त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥



दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥



प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥



पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥



एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥



जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥



त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥



मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥



धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥



शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥



नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥



ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥



पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥



धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
 
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

सावन के सोमवार पर नियम से करें ये काम

सावन में सोमवार के दिन जरुरी है पूरे नियम और श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की उपासना करें. पूजा में शिवलिंग पर गंगाजल, जल, दूध, शहद, घी, चीनी, पंचामृत, चंदन, रोली, अक्षत, बेलपत्र, फल, फूल जरुर चढ़ाएं.

सावन के सोमवार पर शिवजी पर चढ़ाएं उनके प्रिय पुष्प

सावन के सोमवार पर शिव जी को उनके प्रिय फूल जरुर चढ़ाएं. जिसमें शामिल है बेल पत्र, बेल के फूल, शमी वृक्ष के पत्ते या फूल, चमेली के पुष्प,धतूरा, कनेर  के फूल सोमवार के दिन आप भोलेनाथ पर चढ़ा सकते हैं.

सावन के दूसरे सोमवार की शुभकामनाएं


सावन के सोमवार के साथ सोमवती अमावस्या का संयोग

आज सावन के दूसरे सोमवार के साथ सोमवती अमावस्या का संयोग भी बन रहा है. इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है.

सावन का दूसरा सोमवार आज, ऐसे करें शिव जी का पूजन

आज सावन का दूसरा सोमवार है. आज के दिन भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. आज के दिन लोग अपने प्रिय भोलेनाथ के लिए व्रत रखते हैं. इस दिन शिव जी पर बेलपत्र चढ़ाना, पंचामृत से शिव जी का अभिषेक करना बहुत फलदायी होता है.

सावन सोमवार की पूजा करे इस मंत्र का जाप

सावन के दूसरे सोमवार के दिन शिवभक्त शिवजी की पूजा-अराधना करेंगे. इस दिन पूजा में ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप जरूर करें।

कल सावन के दूसरे सोमवार पूजा में शिवजी को चढ़ाएं उनके प्रिय फूल

शिवजी को सफेद रंग अतिप्रिय है. आप शिवजी की पूजा में सफेद आक के फूल जरुर चढ़ाएं. इस फूल को चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही बेल के फूल, शमी वृक्ष के फूल, धतूरे का फूल और कनेर का फूल चढ़ा सकते हैं.

शिवजी की आरती (Lord Shiva Aarti in Hindi)

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

शिवजी पर क्यों चढ़ाया जाता है भस्म

शिवजी का पूजा में भस्म चढ़ाने का महत्व है और इसे पूजा सामग्री में जरूर शामिल किया जाता है. भस्म के बिना शिवजी की पूजा अधूरी मानी जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था. यज्ञ में देवता और ऋषि-मुनि आए हुए थे. सभी के बीच राजा दक्ष ने अपनी पुत्री देवी सती के सामने उनके पति भोलेनाथ का अपमान किया था. शिवजी के अपमान से दुखी होकर देवी सती ने हवन कुंड में जलकर अपने प्राण त्याग दिए थे. इससे शिवजी क्रोधित हो गए और उन्होंने सती की चिता की भस्म को अपने पूरे शरीर में लपेट कर तांडव किया. इसके बाद से ही शिवजी की पूजा में उन्हें भस्म चढ़ाने की परंपरा शुरुआत हो गई. 

शिवजी के मंत्र (Lord Shiva Mantra)

  • ॐ नम: शिवाय

  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

  •  ॐ नमो भगवते रुद्राय

  • ॐ हं हं सह:

  • ॐ नमः शिवाय व्योमकेश्वराय

  • ॐ पार्वतीपतये नमः

  • ॐ नमः शिवाय गङ्गाधराय

  • ॐ नमः शिवाय शान्ताय


 

सावन के दूसरे सोमवार पर 4 शुभ योग (Sawan Somwar 2023 Shubh Yog)

17 जुलाई 2023 को सावन सोमवार पर 4 शुभ योग का निर्माण हो रहा है. सावन के दूसरे सोमवार के दिन ही अमावस्या तिथि पड़ रही है, सोमवार का दिन पड़ने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा. साथ ही इसी दिन पुनर्वसु नक्षत्र का निर्माण होगा और हर्षण व सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेंगे.

दूसरे सावन सोमवार के लिए पूजा सामग्री (Sawan Somwari 2023 Puja Samagri)

कल सावन की दूसरी सोमवारी पर भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी. पूजा के लिए पहले से इन सामग्रियों को इकट्ठा कर लें. सावन सोमवारी की पूजा के लिए आपको कच्चा दूध, गंगाजल, दही, घी, शहद, भांग, धतूरा, शक्कर, केसर, चंदन, बेलपत्र, अक्षत, भस्म, रुद्राक्ष, शमी पत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल, कपूर, धूप, दीप, फूल,  इत्र, पंचमेवा, काला तिल और सोमवार व्रत कथा के पुस्तक की आवश्यकता पड़ेगी.

दूसरे सावन सोमवार पर शुभ मुहूर्त (Sawan Somwar 2023 Shubh Muhurat)

17 जुलाई 2023 को सावन के दूसरे सोमवार का व्रत रखा जाएगा. इसी दिन सावन अमावस्या भी है. इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है. साथ ही सावन के दूसरे सोमवार के दिन ही सूर्य देव कर्क राशि में विराजमान रहेंगे. कल पुनर्वसु नक्षत्र रहेगा. साथ ही व्याघात और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00-12:55 तक रहेगा और राहुकाल शाम 05:37 से 07:20 तक रहेगा.

बैकग्राउंड

Sawan Somwar 2023  Highlight: सावन माह को हिंदू धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जोकि भगवान शिव की अराधना के लिए समर्पित होता है. भगवान शिव को भी सावन माह अतिप्रिय है. इसलिए इस पूरे महीने शिवभक्त भगवान शिव की उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं. बता दें कि इस साल सावन की शुरुआत 04 जुलाई से हुई है और 31 अगस्त को सावन समाप्त हो जाएगा. 


वैसे तो सावन महीने का अपना विशेष महत्व है. लेकिन सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार के दिन का खास महत्व होता है. इस दिन शिवजी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखे जाते हैं. 10 जुलाई को सावन के पहले सोमवार का व्रत रखा गया था आज17 जुलाई को सावन के दूसरे सोमवार का व्रत रखा जाएगा.


इस साल सावन में कुल 8 सोमवार


इस साल सावन महीने में कई अद्भुत और दुर्लभ योग बने हैं. सावन महीने में ही इस बार अधिकमास लगा है, जिसे पुरुषोत्तम मास या मलमास कहा जाता है. अधिक मास लगने के कारण सावन महीने की अवधि भी बढ़कर 59 दिनों की हो गई है और इस कारण इस साल सावन में कुल 8 सोमवारी व्रत रखे जाएंगे. इसमें 4 सावन सोमवार और 4 अधिकमास सावन सोमवार के व्रत शामिल हैं.


सावन के दूसरे सोमवार ऐसे करें पूजा


सावन के दूसरे सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करने और व्रत रखने से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है और भोलेनाथ सभी कष्टों को दूर कर देते हैं. सावन के दूसरे सोमवार सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद पूजा की तैयारियां शुरू करें. इस दिन मंदिर जाकर शिवलिंग पर विधि-विधान से पूजा करें. सबसे पहले गंगाजल, शुद्ध जल या दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें. फिर शिवलिंग पर चंदन लगाए. अब अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते और भस्म आदि अर्पित करें. शहद, फल, मिठाई, शक्कर आदि को आप भोग स्वरूप चढ़ा सकते हैं. इसके बाद धूप-दीप दिखाएं और भगवान की आरती करें. सावन सोमवार के दिन शिवजी के मंत्रों का जाप करना और शिव चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है.


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