Sawan Second somwar 2022, Ardhnarishwar Puja: सावन का दूसरा सोमवार आज है. भगवान शिव की महीमा अलौकिक है. शिव शंभू के कई स्वरूप है जिनका उल्लेख शिव पुराण में मिलता है. इन्हीं में से एक है भोलेनाथ का अर्धनारीश्वर रूप. सावन के दूसरे सोमवार पर महादेव के अर्धनारीश्वर रूप के पूजन से अखंड सौभाग्य, संतान सुख, विवाह की बाधाएं दूर होती हैं. भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में शिव का आधा शरीर स्त्री और आधा शरीर पुरुष का है.


आइए जानते हैं आखिर क्यों शिव को अर्धनारीश्वर रूप धारण करना पड़ा और कैसे करें सावन सोमवार पर शिव जी के इस रूप की पूजा.


शिव के अर्धनीरीश्वर रूप की पूजा विधि



  • सावन के दूसरे सोमवार पर सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद भोलेनाथ का जलाभिषेक करें.

  • महादेव के अर्धनारीश्वर रूप का ध्यान करते हुए माता पार्वती की पूजा भी करें.

  • शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत चढ़ाएं, साथ ही माता पार्वती को सोलल श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.

  • षडोपशाचार से माता गौरी-महादेव के पूजन के बाद खीर का भोग लगाएं.

  • अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा करते समय ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नमरू मंत्र का 11 माला जाप करना बहुत फलदायी माना गया है.

  • सावन सोमवार की पूजा में अर्धनारीश्वर स्तोत्र के पाठ से पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव नहीं रहता. शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है.

  • परिवार सहित भोलेनाथ की आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें.


शिव ने क्यों लिया अर्धनारीश्वर रूप


शिव का अर्धनारीश्वर रूप पुरुष और स्त्री की समानता का प्रतीक माना जाता है. समाज में स्त्री और पुरुष का जीवन एक दूसरे के बिना अधूरा है. शिव पुराण के अनुसार शिव जी के इस स्वरूप संसार के विकास की निशानी है. पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि के निर्माण की जिम्मेदारी ब्रह्मा जी की थी. जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरु किया, तब वे चिंतित थे कि इसके विकास की गति कैसे होगी.


अर्धनारीश्वर रूप में छिपा है संसार का रहस्य


गहन चिंतन के बाद भी जब कोई समाधान नहीं निकला तो ब्रह्मा जी शिव जी के पास पहुंचे. मैथुनी सृष्टि के सृजन हेतु उन्होंने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या शुरू कर दी. ब्रह्मा जी के तप से खुश होकर भगवान भोलेनाथ अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए. शिव के आधे हिस्से में पुरुष और बाकी के भाग में शक्ति यानी की स्त्री थी.


शिव से अलग हुई शक्ति


महादेव ने अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन देकर ब्रह्माजी से कहा कि आपको स्त्री और पुरुष दोनों की मैथुनी सृष्टि की रचना करनी है, जो प्रजनन के जरिए सृष्टि को आगे बढ़ा सके. इस प्रकार शिव से शक्ति अलग हुईं और फिर शक्ति ने अपने रूप से एक अन्य नारी की रचना की. इसी शक्ति ने फिर दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, जिसके बाद से मैथुनी सृष्टि का विकास हुआ.


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