Sankashti Chaturthi 2021 Niyam: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) मनाई जाती है. संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित होती है. इस दिन गणपति के भक्त उन्हें प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए संकष्टी व्रत रखते हैं. इस विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन सच्चे मन  से गणेश जी की उपासना करने से वे भक्तों के विघ्न दूर करते हैं और उनकी सारी मनोरथ पूर्ण करते हैं. इतना ही नहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान गणेश की पूजा (Lord Ganesh Puja) करने से कुंडली में मौजूद बुध दोष (Budh Dosh) को भी दूर किया जा सकता है. 


बता दें कि सालभर में लगभग 13 संकष्टी चतुर्थी पड़ती हैं. इसमें हर संकष्टी चतुर्थी का अलग-अलग महत्व होता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है और चंद्र को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से पहले व्रत नियमों को जान लेना बहुत जरूरी  है. व्रत के दौरान की कई इन गलतियों से व्रक का पूर्ण फल नहीं मिलता है. आइए डालते हैं एक नजर व्रत नियमों के बारे में. 


संकष्टी व्रत नियम (Sankashti Vrat Rules)


हिंदू धर्म में किसी भी व्रत के दिन ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करना शुभ माना जाता है. इसलिए विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और गणेश जी के सामने व्रत का संकल्प  लें. इस दिन भूलकर भी चावल, गेहूं और दाल का सेवन न करें. किसी भी रूप में इन तीन चीजों का सेवन निषेध होता है. मान्यता है कि व्रत के दौरान  ऊॅं गणेशाय नमः मंत्र का जप अवश्य करें. इस दिन व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें. मांस, मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें. क्रोध पर काबू रखें और खुद पर संयम बनाए रखें. दिनभर भगवान का नाम लें और चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें. 



विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी तिथि (Vighanraj Sankashti Chaturthi Tithi)


हिंदू धर्म में गणेश पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है. हर माह गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है, ताकि विघ्नहर्ता भगवान गणेश भक्तों को विघ्नों का नाश कर सकें और मनोकामना पूर्ण कर उन पर कृपा बनाए रखते हैं.  



विघ्नराज संकष्टी प्रारम्भ तिथि- प्रातः काल 12 बजकर 56 मिनट, 23 नवंबर, मंगलवार से शुरु होकर 



विघ्नराज संकष्टी समापन तिथि- प्रातः काल 3 बजकर 25 मिनट, 24 नवंबर, बुधवार तक है.  


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