Rules For Roti: किसी के भी घर में सबसे महत्वपूर्ण और पावन जगह उसकी रसोई होती है. घर की रसोई वे जगह होती है, जहां घर के सदस्यों का भोजन बनाया जात है. हिंदू धर्म में यह भी माना जाता है कि रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है. जिससे घर में शांति-समृद्धि और खान-पान की दिक्कतें नहीं होती.
इसलिए शास्त्रों में कुछ भोजन नियम बताए हैं, जिसमें बासी रोटी को अशुभ माना गया है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों?
शास्त्रों के अनुसार रात का बासी आटा सुबह तक तामसिक हो जाता है. क्योंकि रात के गूंथा आटे में खमीर भी बनने लग जाती है. वहीं बासी आटे की रोटी खाने से व्यक्ति आलसी हो जाता है और शरीर में एक भारीपन भी आने लगता है. जिससे चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी आता है और नकारात्मकता भी बढ़ने लगती है.
आटे का है सूर्य और मंगल ग्रह से संबंध
भारतीय परंपराओं में भोजन बनाते समय उसकी शुद्धता, साफ-सफाई और ताजगी को बेहद अहम माना गया है. मान्यता है कि यदि बासी आटे से रोटी बनाई जाए, तो इससे मां अन्नपूर्णा अप्रसन्न होती हैं और रसोई का सकारात्मक वातावरण भी प्रभावित होता है. ऐसे में भोजन से घर में शुभ ऊर्जा भी कम होने लगती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोटी का संबंध सीधे सूर्य और मंगल ग्रह से जोड़ा गया है. रोटी शरीर को ऊर्जा, बल और तेज प्रदान करती है. सूर्य जीवनशक्ति और आत्मबल का प्रतीक माना जाता है, जबकि मंगल साहस, पराक्रम और ऊर्जा का कारक है. यही कारण है कि ताजे आटे से बनी रोटियां शरीर और मन दोनों को संतुलन देती हैं और सकारात्मकता बढ़ाती हैं.
बासी आटे का है राहु से संबंध
वहीं बासी आटे को राहु से जोड़ा गया है. राहु को भ्रम, मानसिक अस्थिरता, उलझन और नकारात्मक सोच का प्रतीक माना जाता है. इसलिए शास्त्रों में सलाह दी गई है कि हमेशा ताजे आटे से भोजन तैयार किया जाए, ताकि स्वास्थ्य के साथ-साथ घर की ऊर्जा भी बनी रहे.
शास्त्रों में किया गाया है मना
हिंदू शास्त्र जैसे- धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु और स्मृतिग्रंथों में लिखा है कि रात्रौ संध्या समये च यत् भुक्तं तत् बासी भवति. इसका अर्थ यह है कि रात का बचा हुआ भोजन, सुबह तक बासी हो जाता है, इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए.
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