Christmas 2025 Colors: ईसाई समुदाय के लोग क्रिसमस का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं. हर साल 25 दिसंबर के दिन यह त्योहार दुनियाभर में मनाया जाता है. क्रिसमस पर विशेषरूप से साज-सजावट करना और तोहफे देना परंपरा का अहम हिस्सा है, जिसे अन्य धर्म के लोग भी फॉलो करते हैं.
क्रिसमस के पहले से ही बाजारों में रंग-बिरंगी लाइटे, क्रिसमस ट्री, सजावट के लिए स्टार, कलरफुल जुराब, लाल टोपी आदि जैसी चीजों की रौनक देखते ही बनती हैं. क्रिसमस के मौके पर ना सिर्फ घर बल्कि चर्च, बाजार, दुकान, होटल, रेस्टोरेंट आदि जगहों पर विभिन्न रंगों से सजावट की जाती है. क्रिसमस से सुहरा, पीला, गुलाबी, लाल, हरा, नीला और सफेद जैसे रंग जुड़े होते हैं. लेकिन हरा, लाल और सफेद को क्रिसमस के लिए पारंपरिक रंग माना जाता है. आइए जानते है क्रिसमस के इन पारंपरिक रंगों के पीछे की कहानी, महत्व और उत्पति.
क्रिसमस और हरा रंग- क्रिसमस पर हरे रंग का पारपंरिक महत्व सदाबहार पौधों से जुड़ा है, जिसे हम क्रिसमस ट्री के रूप में सजाते हैं. सदाबहार का पौधा कभी अपना रंग नहीं खोता. मान्यता है कि, वर्षों पहले क्रिसमस में कड़ाके की ठंड में रोमन लोग एक-दूसरे को सौभाग्य के प्रतीक के रूप में सदाबहार (Evergreen Coniferous Tree) पौधे या शाखाएं देते थे. सर्दियों में क्रिसमस के समय जब अधिकतर पेड़-पौधे सूख जाते हैं, तब भी यह एवरग्रीन रहता है, जोकि इस बात का संकेत है कि, मुश्किल समय में भी जीवन में आशा बनी रहनी चाहिए. यही कारण है कि क्रिसमस ट्री के रूप में हरे पेड़ को चुना गया. ईसाई परंपरा के अनुसार हरा रंग अनंत जीवन और ईश्वरीय कृपा का संकेत देता है. यह रंग जीवन, उम्मीद और पुनर्जन्म का प्रतीक है.
क्रिसमस और लाल रंग- मध्य युग के दौरान यूरोप के कई हिस्सों में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर स्वर्ग-कथाओं पर आधारित नाटक होते थे. इनमें उन लोगों को बाइबिल की कहानियां सुनाई जाती थीं जोकि पढ़ नहीं सकते थे. नाटक में ईडन गार्डन में 'स्वर्ग का वृक्ष' या चीड़ (Pine) का पेड़ होता था जिस पर लाल सेब बंधे हुए दिखाए जाते थे. क्योंकि इस महीने में सेब और होली बेरी आसानी से उपलब्ध होते थे. इसलिए सजावट के तौर पर इन फलों का उपयोग किया जाता था. इसलिए क्रिसमस में लाल रंग की उपयोगित पारंपरिक रूप से अधिक बढ़ी. इसके अलावा क्रिसमस पर लाल रंग की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण सेंटा क्लॉड की ड्रेस और टोपी भी है.
क्रिसमस और सफेद रंग- पश्चिमी संस्कृति में सफेद रंग को पवित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है. सर्दियों में चारों ओर बर्फ की सफेद चादर होती है. 18वीं शताब्दी में पेड़ों को सजाने के लिए सफेद वेफर्स का उपयोग किया जाता था. सफेद वेफर और लाल सेब ईसा मसीह के शरीर और रक्त के कैथोलिक प्रतीक थे. ईसाई अपने घरों को सफेद रंग से सजाते थे ताकि यीशु के जन्म का स्वागत किया जा सके. क्रिसमस के मौके पर अधिकांश चर्चों में सजावट के लिए सफेद रंग का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए इसे क्रिसमस का पारंपरिक रंग माना जाता है.
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