Ramadan 2024: रमजान का मुबारक महीना मुसलमानों के लिए खास महत्व रखता है. माह-ए-रमजान की शुरुआत 11 मार्च 2024 से हो चुकी है. इस पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. रमजान के पूरे महीने के रोजे को तीन अशरों में बांटा गया है.


माह-ए-रमाजन के 3 अशरे (Ramadan 2024 Three Ashras)


अरबी में अशरा का मतलब 10 अंक से होता है. रमजान के पहले 1-10 दिनों के रोजे को पहला अशरा, 11-20 के रोजे को दूसरा अशरा और आखिरी 21 से 30 दिनों के रोजे को तीसरा अशरा कहा गया है.


इस तरह से रमजान के 30 दिनों के रोजे को तीन भागों में बांटा गया है. पहला रोजा रहमत का, दूसरा रोजा मगफिरत यानी माफी का और तीसरा रोजा जहन्नुम या दोजख से आजादी का होता है. इस्लाम में इन तीनों अशरे को महत्वपूर्ण माना गया है.


माह-ए-रमजान का दूसरा अशरा शुरू


मुकद्दस महीने रमजान में रोजेदारों पर शुरुआत के 10 रोजे में अल्लाह की खूब रहमत बरसी. बुधवार शाम रमजान महीने का पहला अशरा खत्म हो चुका है और दूसरे अशरे की शुरुआत हो चुकी है.


दूसरे अशरे में रोजेदार मगफिरत के लिए अल्लाह से दुआ मांगेगे. क्योंकि रमजान का दूसरा अशरा मगफिरत का है. मान्यता है कि इसमें अल्लाह मरहूमों पर मगफिरत फरमाता है और रोजेदारों को गुनाहों से आजादी मिलती है.




इस्लाम में रोजे का महत्व


रमजान हिजरी सन का नौवां महीना होता है, जिसे नजूल कुरआन का पाक महीना कहा जाता है. हदीस में है कि, अल्लाह के रसूल इस पाक महीने में जन्नत के सभी दरवाजे खोल देते हैं.


साथ ही इस पाक महीने में की गई नफलों का सवाब फर्जों के बराबर और फर्जों का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है. रमजान में रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज होता है. इसे लेकर अल्लाह ताला ने कहा है कि, रोजा मेरे लिए है जिसका अज्र में खुद बंदे को दूंगा.


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