Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज के आश्रम में उनके प्रवचन सुनने आम लोगों के साथ-साथ कई मशहूर हस्तियां आती हैं. इसी कड़ी में वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से नरेश भैया मिलने पहुंचे. नरेश भैया संत समाज में विशेष स्थान रखते हैं.

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वह 'श्रीमन् नारदीय भगवत् निकुंज' से जुड़े हुए हैं और राधा-माधव की भक्ति, सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं. दोनों संतों के बीच गहन आध्यात्मिक चर्चा हुई, इस दौरान एक पल ऐसा आया जब प्रेमानंद जी भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू निकल आए.

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नरेश भैया जी युवाओं को जोड़कर सत्संग, कथावाचन और धार्मिक आयोजन करते हैं. मुलाकात के दौरान, नरेश भैया जी ने अपने 'भैया जी' (शायद उनके गुरु) और 'बहु जी' को याद करते हुए एक भावपूर्ण लिखित रचना गाकर सुनाई. उन्होंने प्रेमानंद जी महाराज के भक्ति प्रेम को अपनी रचना का आधार बनाया.

क्यों रोने लगे प्रेमानंद महाराज

इस भेंट का सबसे भावुक पल तब आया जब नरेश भैया ने अपनी रचना प्रस्तुत करने के दौरान उस समय की कल्पना की जब प्रेमानंद महाराज इस दुनिया में नहीं रहेंगे. यह सुनते ही प्रेमानंद महाराज भावुक हो उठे और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. इस दौरान उनके शिष्य भी रोने लगे.

प्रेमानंद जी महाराज ये कहते हुए रोने लगे कि भगवान हमसे कितना प्यार करते हैं ये कोई नहीं जान सकता, ये सिर्फ उनकी करुणा है. भगवान उन्हीं को भक्तों को स्वीकारते हैं तो इसके पीछे कोई महापुरुष का योगदान होता है. जिनके बताए सतकर्म पर हम चलते हैं. अहम का भाव हमारे मन से निकालते हैं.

 प्रेमानंद जी महाराज ने क्या कहा

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि भगवान कण-कण में विराजमान है. फिर भी हम दुख, शोक से दूर नहीं हुए लेकिन जब उन्हीं भगवान ने संत रूप धारण किया जो हमारी चिंता, दुख शोक सब दूर हो गए. उन्होंने कहा की पूज्य बाबा जी और भाई जी की वाणी ने ही हमारा जीवन परिवर्तित किया.

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