Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.

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मोक्ष नहीं मिला, इसीलिए यह जन्म मिला है?'' इस सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि जिनको मोक्ष नहीं मिला वो अपने शुभ और अशुभ कर्मों का भोग करते रहे और शुभ और अशुभ कर्म नए करते रहे इसका क्रम बना रहा. शुभ, अशुभ कर्म का भोग करके और शुभ-अशुभ कर्म जो जमा है उनको विध्वंस कर दें, उनको नष्ट कर दें आगे के जो शुभ-अशुभ कर्म हैं उनको मिटा दे. भगवान को अर्पित करके उनको मिटा दें, निशफल कर दें. ऐसा करने से जीवन मुक्त हो जाता है. अगर आपका जीवन मुक्त हो गया फिर जन्म नहीं होता है.

प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि जब तक यह कर्मों की परंपरा चलती रहेगी. तब तक हम अलग-अलग योनियों में जन्म लेते रहेंगे. इस बार मनुष्य बने हैं अगली बार किसी और योनियों में जाएंगे और हमारा जन्म मरण होता रहेगा. इसीलिए भगवान के शरणागति होकर के भगवान का नाम जप करें. बिना भागवत प्रेम के जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होना बहुत मुश्किल है.

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प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि आज का मनुष्य थोड़ा बहुत भजन कर लेता है और मांग कर लेता है भोगों की, तो इससे हमारे कर्म संस्कार बनते चले जाते हैं. इसीलिए हमारा पुन: जन्म मरण का चक्र चलता रहता है. इसी चक्र को मिटाने के लिए हमारा मनुष्य शरीर का जन्म हुआ है. कर्म बहुत बलवान हैं. इसे केवल भगवान ही मिटा सकते हैं या शुद्ध ज्ञान मिटा सकता है. भगवान की शरण में आने वाला पाप मुक्त हो जाता है. इसीलिए भगवान के नाम का जाप करें और अच्छे कर्म करें.

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