Shani Dev, Shani Pradosh Vrat: शनि देव के बारे में कहा जाता है कि जब ये नाराज हो जाते हैं तो व्यक्ति का जीवन संकट, परेशानी और बाधाओं से भर देते हैं. व्यक्ति राजा से रंक बनने की स्थिति में आ जाता है. शनि देव को ज्योतिष शास्त्र में न्याय का देवता माना गया है. शनि देव को कलियुग का दंडाधिकारी भी बताया गया है. यही कारण है कि हर कोई शनि देव को शांत रखना चाहता है.


भाद्रपद मास चल रहा है. भाद्रपद में शनि देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. पंचांग के अनुसार 04 सितंबर 2021 को शनिवार का दिन है. इस दिन प्रात: 08 बजकर 26 मिनट तक द्वादशी की तिथि रहेगी. इस तिथि में एकादशी व्रत का पारण किया जाता है. इसके बाद त्रयोदशी की तिथि आरंभ होगी. त्रयोदशी की तिथि को प्रदोष व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है. शनिवार के दिन त्रयोदशी की तिथि होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. 


शनि देव किसके भक्त हैं?
शनि देव को भगवान शिव का भक्त बताया गया है. शनि, सूर्य के पुत्र हैं. पिता से नाराज होने पर एक बार शनि देव ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनि देव को सभी ग्रहों का न्यायाधीश बनाया था. प्रदोष व्रत पर इसीलिए शनि देव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इसके साथ ही शनि देव की पूजा का एक और संयोग बन रहा है.


04 सितंबर 2021 को पुष्य नक्षत्र है
पंचांग के अनुसार 04 सितंबर, शनिवार को पुष्य नक्षत्र बना हुआ है. जो शाम 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. पुष्य नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में सबसे शुभ माना गया है. पुष्य नक्षत्र में पूजा और शुभ कार्य करने से अत्यंत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं. पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा भी बताया गया है. इस बार शनिवार के दिन बनने वाले विशेष संयोगों के कारण शनि देव की पूजा का महत्व बढ़ जाता है. इस दिन शनि देव की आरती और शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए. विशेष बात ये है कि इस नक्षत्र का स्वामी शनि देव को ही माना गया है.


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