Ravi Pradosh Vrat 2024: शिव पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत करने से दूर होती है हर तरह की मुश्किलें. जिस प्रकार एकादशी का व्रत भगवान विष्णु से जुड़ा है उसी प्रकार प्रदोष व्रत शिव जी से जुड़ा है.


भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करना बहुत खास माना गया है. इस साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में रवि प्रदोष व्रत 21 अप्रैल 2024 को है. आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है, क्या है इसकी मान्यता.


रवि प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है ? (Ravi Pradosh Vrat Significance)


शिव पुराण के अनुसार रविवार के दिन आने वाला प्रदोष व्रत दीर्धायु प्रदान करता है. इस दिन सूर्य की उपासना से खोये हुए मान सम्मान को बहुत आसानी से पाया जा सकता है साथ ही आरोग्य की प्राप्ति होती है. वहीं रवि प्रदोष व्रत के दिन शाम को शिव जी की पूजा करने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां भी दूर होती हैं, दांपत्य सुख में भी वृद्धि होती है. रवि प्रदोष का संयोग कई तरह के दोषों को दूर करता है.


रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि (Ravi Pradosh Vrat Puja Vidhi)



  • रवि प्रदोष व्रत के दिन सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान कर भगवान सूर्य को नमस्कार करें

  • पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके लाल आसन पर बैठे तथा एक तांबे के लोटे में जल भरकर रखें. शुद्ध तांबे के दीये में गाय का घी भरकर कलावे की बाती लगाकर जलाएं. सूर्य स्तोत्र का पाठ करें. 

  • शाम के समय शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें. उन्हें साबुत चावल की खीर, हलवा, बेल का फल इनमें से किसी भी एक पकवान का भोग लगाएं और शिव चालीसा का पाठ करें. मान्यता है इससे भोलेनाथ (Shiv JI ke Bhog) जल्द प्रसन्न होते हैं.


रवि प्रदोष व्रत में रखें इन बातों का ध्यान (Ravi Pradosh Vrat Niyam)



  • रवि प्रदोष व्रत फलाहार किया जाता है. पूरे दिन का उपवास करने के बाद सूर्य अस्त से पहले स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए.

  • पूजन स्थल को गंगाजल और गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार करना चाहिए. इस मंडप पर पांच रंगों से रंगोली बनानी चाहिए.

  • इस दिन घर में सात्विक भोजन बनाएं.


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