Paush Shukla Vrat-Festival 2022: पौष माह हिंदू धर्म का दसवां महीना है. पौष माह का कृष्ण पक्ष अमावस्या का बाद खत्म हो जाएगा. 24 दिसंबर 2022, शनिवार  से पौष महीने के शुक्ल पक्ष का आरंभ हो रहा है. पौष माह का शुक्ल पक्ष नए साल 2023 में खत्म होगा.


6 जनवरी 2023 को पौष पूर्णिमा है इसके बाद 7 जनवरी 2023 माघ मास की शुरुआत हो जाएगी. पौष माह में अभी खरमास चल रहा है जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं होते लेकिन पूजा पाठ के लिहाज से ये महत्वपूर्ण माना जाता है. आइए जानते हैं पौष माह के शुक्ल पक्ष में कौन-कौन से त्योहार और व्रत पड़ेंगे.


पौष के शुक्ल पक्ष में आएंगे ये व्रत-त्योहार


26 दिसंबर 2022 (सोमवार) - पौष विनायक चतुर्थी


विनायक चतुर्थी भगवान गणपति को समर्पित है. इस दिन गणपति की आराधना करने से व्यक्ति को धन-लाभ, सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख समाप्त हो जाते हैं.


28 दिसंबर 2022 (बुधवार) - स्कंद षष्ठी व्रत


स्कंद षष्ठी व्रत में भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. मान्यता है इनकी भक्ति करने वालों को लोभ, मोह, क्रोध और अहंकार से मुक्ति मिल जाती है. व्यक्ति सभी शारीरिक कष्टों और रोगों से छुटकारा पाता है.


29 दिसंबर 2022 (गुरुवार) - गुरु गोविंद सिंह जयंती


इस दिन सिखों के आखिरी और दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था. इन्होंने ही धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी. इस दिन सुबह से ही गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू होकर देर रात तक चलता है। इस दिन गुरुवाणी का पाठ, शबद कीर्तन किया जाता है.


2 जनवरी 2023 (सोमवार) - पौष पुत्रदा एकादशी, वैकुंठ एकादशी


नए साल 2023 में पहला व्रत पौष पुत्रदा एकादशी का ही रखा जाएगा. ये व्रत संतान से जुड़ी हर कामना को पूर्ण करता है. संतान सुख, बच्चे के उज्जवल भविष्य और लंबी आयु के लिए ये व्रत किया जाता है.


4 जनवरी 2023 (बुधवार) - पौष दूसरा प्रदोष व्रत


प्रदोष व्रत हर दोष को समाप्त करने वाला माना गया है. हर माह दो प्रदोष व्रत आते हैं. इस व्रत के प्रभाव से रोग, दोष, दुख, दरिद्रता दूर होती है. वैवाहिक जीवन खुशहाल बनता है और सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है.


6 जनवरी 2023 (शुक्रवार) - पौष पूर्णिमा


पौष माह के शुक्ल पक्ष का आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि के साथ खत्म होगा. पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी-नारायण की पूजा का विधान है. पूर्णिमा का व्रत जीवन में सुख-, संपत्ति, सौभाग्य, धन लाभ देता है.


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