Parineeti-Raghav Wedding: बॉलीवुड अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा (Actress Parineeti Chopra) और आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) आज 24 सितंबर 2023 को विवाह के बंधन के बंध जाएंगे. फिल्मी और राजनीति जगत में परिणीति-राघव की शादी (Parineeti-Raghav Wedding) खूब चर्चा में बनी हुई है.


आपको बता दें कि, उदयपुर के शानदार लीला पैलेस में परिणीति-राघव रॉयल शादी होगी. परिणीति और राघव दोनों पंजाबी हैं और इस कारण इनकी शादी पंजाबी रीति-रिवाज से होगी. जानते हैं कैसे होती है पंजाबी शादियां. इसमें क्या-क्या रीति-रिवाज और रस्में होते हैं. साथ ही जानते हैं इन रस्मों का क्या अर्थ और महत्व.



विवाह में रीति-रिवाजों का महत्व (Rituals Importance in Wedding)


विवाह चाहे किसी भी धर्म में क्यों न हो, इसमें रीति-रिवाजों का खास महत्व होता है. क्योंकि विवाह के बाद भले ही दो लोग नए जीवन की शुरुआत करते हैं. लेकिन यह दो कुल या दो परिवारों को भी एक नए रिश्ते में बांधता है. इसलिए शादी तय होने से लेकर विदाई तक और उसके बाद भी कई तरह की रस्में हर धर्म में निभाई जाती है.  रीति-रिवाजों के माध्यम से दंपती और परिवार वाले धीरे-धीरे करीब आते हैं, जिससे रिश्ता मजबूत होता है.


विवाह के दौरान हाने वाले ये रीति-रिवाज एक सीढ़ी की तरह होते हैं, जिसमें स्टेप बाय स्टेप चढ़कर दो अंजान लोग विवाह तक पहुंचते हैं और सात जन्मों के लिए एक हो जाते हैं. यही कारण है कि विवाह में होने वाले हर रस्म का विशेष महत्व होता है. बात करें पंजाबी शादी की तो, जानते हैं रोका से लेकर चूड़ा सेरेमनी और डोली तक की रस्मों का महत्व.


अरदास से शुरू हई परिणीति-राघव की शादी की रस्में


उदयपुर जाने से पहले दिल्ली के गुरुद्वारे में अरदास के साथ राघव चड्ढा और परिणीति चोपड़ा की शादी की रस्में शुरू हुई थी. पंजाबी और सिख धर्म में अरदास के साथ शादी की रस्मों की शुरुआत होती है. अरदास शब्द अर्ज+दास से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है, विनम्र सेवक द्वारा अपने ईश्वर से किया गया अनुरोध. शुभ कार्य शुरू करने से पहले अरदास के साथ वाहे गुरु का आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद शादी की अन्य रस्में जैसे- मेहंदी, कलीरें बांधने की रस्म, सेहराबंदी, बारात, मिलनी, आनंद कराज और विदाई आदि होते हैं


पंजाबी शादी के रीति-रिवाज और रस्म (Punjabi Wedding Rituals)



  • रोका: रोका शादी में होने वाली सबसे पहली रस्म होती है. इसमें दूल्हा-दुल्हन का रिश्ता तय होता है और दोनों एक दूसरे के लिए ही समर्पित हो जाते हैं. रोका सेरेमनी के दौरान दोनों परिवार आपस में मिलकर तोहफे और मिठाइयों का लेन-देन करते हैं और रिश्ता पक्का होने की खुशी मनाते हैं. आमतौर पर इसमें रिंग एक्सचेंज नहीं होती है. लेकिन आजकल कई लोग रोका में सगाई भी कर लेते हैं. रोका होने के बाद दोनों परिवार और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में लड़का-लकड़ी एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं.

  • कीर्तन: पंजाबी शादियों में इस रस्म का खास महत्व होता है. रोका या सगाई हो जाने के बाद दूल्हा और दुल्हन के घर पर पूजा-कीर्तन रखा जाता है. यह रिश्ते की शुभ शुरुआत के लिए होता है जोकि दिन से शुरू होकर रात तक चलता है.

  • संगीत सेरेमनी: संगीत सेरेमनी में ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं और परिवार ढोल की ढाप पर खूब नाचते हैं और जमकर गाना-बजाना होता है, जोकि पंजाबी शादियों की शान है.

  • मेहंदी: मेहंदी भी शादी की रस्म का अहम हिस्सा है. इसलिए दूल्हा-दुल्हन दोनों के हाथों में मेहंदी लगाई जाती है. कई परिवार में मेहंदी के साथ ही जग्गो रस्म भी होता है. इसमें सभी रातभर जागते हैं. इस दिन दीप जलाए जाते , जिसे दुल्हन की मामी अपने सिर पर लेकर चलती है.

  • हल्दी-चूड़ा: शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है. इस रस्म में परिवार के लोग और करीबी दोस्त शामिल होते हैं. वहीं चूड़ा रस्म में दुल्हन के मामा की ओर से चूड़ा चढ़ाया जाता है, जिसे सब लोग छूकर आशीर्वाद देते हैं. जब दुल्हन को चूड़ा पहनाया जाता है, तब वह अपनी आंखों को बंद रखती है. वैसे तो चूड़ा पूरे एक साल तक पहनने का नियम है. लेकिन शादी के एक माह या 40 दिन बाद भी चूड़ा उतारा जा सकता है. चूड़ा उतारने की रस्म को चूड़ा वढ़ाया कहते हैं.

  • सेहरा और घोड़ी चढ़ाय: विवाह के दिन दूल्हा बनठन कर तैयार हो जाता है तो उसकी बहन उसके उसे सेहरा पहनाती है. दूल्हे को परिवार और दोस्त मिलकर उसे घोड़ी पर चढ़ाते हैं. घोड़ी चढ़ने के बाद दूल्हा बारातियों के साथ दुल्हन के घर जाता है.

  • बारात-मिलनी: जब दूल्हा दुल्हन के घर पहुंच जाता है तब लड़की वाले दूल्हे और बारातियों का स्वागत करते हैं. इसे मिलनी कहा जाता है. इसके बाद वरमाला की रस्म होती है और फिर दूल्हा-दुल्हन दोनों विधि-विधान से सात फेरे लेते हैं.  

  • आनंद कारज: पंजाबियों में विवाह समारोह को आनंद कारज कहा जाता है. गुरुद्वारा साहिब के मुख्य छात्रावास, जहां सिखों की धार्मिक पुस्तकें पढ़ी जाती है और चार प्रार्थनाएं पढ़ी जाती हैं. आनंद कारज रस्म के दौरान दूल्हा और दुल्हन एक विशेष कुर्सी पर बैठते हैं और प्रत्येक प्रार्थना के लिए एक कुर्सी लावन करते हैं. वहां कारवां पूरा होने के बाद दूल्हा-दुल्हन वैवाहिक जीवन में बंध जाते हैं. पंजाबी शादी की परंपराएं जिसमें आनंद कारज के बाद गुरुद्वारा साहिब से कराह प्रसाद और बड़ों का आशीर्वाद लेकर उत्सव को आगे बढ़ाया जाता है.

  • डोली: डोली विदाई समारोह होता है. गुरुद्वारा में शादी समारोह समाप्त होने के बाद दुल्हन की विदाई की जाती है. यह भावुक पल होता है. लेकिन सभी लोग दुल्हन को सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद देते हैं और इसके बाद दंपती नए जीवन की शुरुआत करते हैं.


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