Papankusha Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat ) सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है. एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ashwin Month Ekadashi) को पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस साल पापांकुशा एकादशी 16 अक्टूबर (16 October Papankusha Ekadashi) के दिन पड़ रही है. कहते हैं कि इसमें में भगवान पद्मनाभ की पूजा (Padamnabh Puja) की जाती है. इतना ही नहीं, जो भी इस व्रत को करता है उसे तप के समान फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन मौन रह कर भगवान विष्णु की अराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 


पापांकुशा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi Shubh Muhurat 2021)


अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 05 मिनट से आरंभ हो जाएगी. और एकादशी तिथि का समापन 16 अक्टूबर, शनिवार की शाम 05 बजकर 37 मिनट पर होगा. और वहीं, एकादशी व्रत का पारण 17 अक्टूबर, रविवार को किया जाएगा. व्रत पारण का मुहूर्त 17 अक्टूबर, रविवार को सुबह 06 बजकर 28 मिनट से सुबह 08 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. व्रत का पारण इसी समय के बीच करना जरूरी होता है. वरना व्रत का फल प्राप्त नहीं होता.


पापांकुशा एकादशी महत्व (Papankusha Ekadashi Importance)


सालभर में आने वाली सभी एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. अश्विन की पापांकुशा एकादशी व्रत का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से यमलोक में यातनाएं नहीं सहनी पड़ती. कहते हैं कि जीवन में किए गए सभी पापों से एक बार में ही मुक्ति पाने के लिए ये व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत से एक दिन पहले दशमी के दिन गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर की दाल का सेवन भूलकर भी न करें. कहते हैं इस व्रत के प्रभाव से व्रती, बैकुंठ धाम प्राप्त करता है. 


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