December Ekadashi 2020: पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. मोक्षदा एकादशी साल की अंतिम एकादशी है. इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं. इसलिए यह एकादशी धर्मकर्म की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है.


एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी व्रत को सबसे विशेष और महत्वपूर्ण इसलिए माना जाता है क्योंकि यह व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करता है, मनोकामनाओं को पूर्ण करता है और जीवन में सुख समृद्धि लाता है.

महाभारत काल मेें श्रीकृष्ण ने एकादशी का महत्व बताया था
एकादशी व्रत के बारे में महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को बताया था. भगवान श्रीकृष्ण के आग्रह पर युधिष्ठिर ने एकादशी व्रत रखकर विधि पूर्वक पूजा की थी. जिसके बाद उन्हें महाभारत के युद्ध में सफलता प्राप्त हुई.

मोक्षदा एकादशी क्या है?
मोक्षदा एकदाशी को मोक्ष दिलाने वाली एकदाशी माना गया है. इस एकादशी को विधि पूर्वक व्रत रखने और पूजा करने से कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं. जिससे व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है. इस व्रत को रखने से पितरों का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है.

मोक्षदा एकादशी, तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का आरंभ 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन 25 दिसंबर की देर रात 1 बजकर 54 मिनट पर एकादशी की तिथि का समापन होगा. 25 दिसंबर को एकादशी का व्रत रखा जाएगा और इस व्रत का पारण 26 दिसंबर को द्वादशी की तिथि को किया जाएगा. इस दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है, वहीं अभिजीत भी रहेगा.

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि
25 दिसंबर को स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इस दिन सुबह और शाम, भगवान विष्णु पूजा करें. सुबह पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और पीले रंग की मिठाई अर्पित करें. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है.

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