Chanakya Niti : जीवन में सफलता के लिए मनुष्य का परिश्रम ही नहीं, उसकी जीवनचर्या भी वजह बनती है. खासतौर पर नौकरीपेशा या कारोबारियों के लिए. इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जरूरत के समय व्यक्ति को अपने ज्ञान पर ही भरोसा करना चाहिए, क्योंकि किताबों में लिखी विधा और उधार पर लिया गया धन आपकी समस्याओं का पूर्ण समाधान नहीं दे सकते हैं. ऐसे में अवसर मिलने पर हर उस विधा को सीखने के प्रयास करें, जो आपकी आजीविका और निर्णय की क्षमता को बढ़ाएं, लेकिन आलस्य के चलते सिर्फ किताबी ज्ञान या दूसरों से मिले उधार या दान के धन को कभी भी शुभ कार्यों में उपयोग में लाने से बचें, क्योंकि विधा वही काम आती हैं जो मनुष्य ने सीख कर अपनी बना ली हो और पैसा वही काम आता हैं जो अपने पास हो.


इसलिए नहीं मिलती संतुष्टि
आचार्य के मुताबिक संसार में आज तक कोई व्यक्ति धन, जीवन, स्त्रियों और खाने-पीने की चीजों से कभी संतुष्ट नहीं हुआ, और न कभी होगा. इतिहास पलटकर देखने पर भी पता चला है कि ऐसी भूख रखने वाले सभी प्राणी अतृप्त ही गए. मौजूदा समय में भी ऐसी सोच रखने वाले अतृप्त ही दिखते हैं. भविष्य में भी यहीं स्थिति बनी रहेगी.


निस्वार्थता से आएगी संतुष्टि
आचार्य कहते हैं कि एक हाथ की शोभा गहनों से नहीं, दान देने से आती है. निर्मलता चंदन लेप से नहीं, साफ पानी से नहाने पर आती है. इसी तरह एक व्यक्ति भोजन कराने से नहीं बल्कि सम्मान देने से संतुष्ट होता है. मुक्ति सिर्फ खुद को सजाने से नहीं होती, अध्यात्मिक ज्ञान जगाने से होती है.


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