नवरात्रि का नौ दिनों का पावन पर्व कन्या पूजन के साथ समाप्त होगा. कुछ लोग अष्टमी को तो कुछ लोग नवमी को अपनी परंपराओं के अनुसार कन्या पूजन करेंगे. ऐसे में कन्या पूजन को शुभ मुहूर्त में सही विधि विधान से किया जाना उचित होगा. इस बार अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर सभी असमंजस में हैं. बता दें कि शुक्रवार को सप्तमी का व्रत है, जो लोग अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं, वे लोग सप्तमी शुक्रवार को व्रत रखेंगे और शनिवार को अष्टमी का कन्या पूजन करेंगे. साथ ही जो लोग नवमी को कन्या पूजन करते हैं, वे लोग शनिवार को अष्टमी का व्रत रखेंगे और रविवार को कन्या पूजन करेंगे. इस बार सप्तमी व अष्टमी एक दिन मिल रही हैं. साथ ही अष्टमी व नवमी भी शनिवार को ही पड़ रही हैं.


जानिए कन्या पूजन की विधि 


इस बार दशहरा और नवमी एक ही दिन हैं. कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है. इनके लिए हलवा पूड़ी और चने प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं. साथ ही कन्याओं को नारियल, फल और दक्षिणा सहित अन्य उपहार भी दी जाती है. कन्याओं को सबसे पहले एक साथ बैठाकर उनके पैर एक थाली में धोए जाते हैं. इसके बाद उन्हें कलावा बांधकर तिलक लगाया जाता है, फिर भरपेट भोजन कराया जाता है. भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा दी जाती है और पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि कन्या देवी का रूप होती हैं इसलिए उनका आशीर्वाद लेना शुभ माना जाता है. कन्या पूजन से आपके घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती. परिवार सुखी रहता है और माता के आर्शीवाद से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.


कब है शुभ मुहूर्त 


अष्टमी तिथि 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से लेकर 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी. यह समय शुभ माना जाएगा जिसमें आप शुभ कार्य कर सकते हैं.


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