Narak Chaturdashi 2021 : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी 2021 की विधि-विधान से पूजा पर सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इसी शाम को दीपदान की विशेष प्रथा है, जो यमराज के लिए किया जाता है. यूं तो इस रात दीया जलाने की कई पौराणिक लोकमान्यताएं हैं. एक कथा के अनुसार इस दिन ही भगवान कृष्ण ने अत्याचारी दुर्दांत असुर नरकासुर का वध कर सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कर सम्मान दिया था. इस उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई जाती है.


कई घरों में इस रात घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जलाकर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे लेकर घर से बाहर कहीं दूर रख कर आता है. घर के बाकी सदस्य अंदर रहते हैं और दीए को नहीं देखते. यह दीया यम का दीया कहलाता है, मान्यता है कि पूरे घर में इसे घुमा कर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और कथित बुरी शक्तियां घर से चली जाती हैं.


दूसरी कथा है कि एक रंति देव नामक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे. उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए. हैरान होकर राजा ने पूछा, मैंने तो कोई पाप कर्म नहीं किया फिर मुझे लेने क्यों आए हो क्योंकि आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नर्क जाना होगा. मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है, यह सुनकर यमदूत ने कहा, हे राजन् एक बार आपके द्वार से ब्राह्मण भूखा लौटा था, यह उसी पापकर्म का फल है. इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष समय मांगा. राजा ने ऋषियों से मुक्ति का उपाय पूछा. तब ऋषि ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत कर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं. इससे राजा पाप मुक्त होकर विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ. तब से पाप और नर्क से मुक्ति के लिए भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है.


इस दिन के महत्व के बारे में कहा जाता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने करके विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना करना चाहिए. इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है.


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