Narak Chaturdashi 2025: पंच महापर्व का दूसरा दिन यानी रूप चतुर्दशी, नरक चतुर्दशी या फिर छोटी दीपावली के रूप में हम इस दिन को जानते है. इस साल चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 19 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट पर होगी.
इसका समापन 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगा. ऐसे में 19 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाएगी. साथ ही इस दिन ऐन्द्र योग, सर्वार्थसिद्धि योग व सर्वाअमृत योग रहेगा.
भगवान कृष्ण ने किस का किया था वध
भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध कर ब्रह्ममुहूर्त में तेल स्नान किया था. नरकासुर का वध होने की वजह से इस चौदस को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.
इस दिन सुबह भगवान कृष्ण की पूजा और शाम को यमराज के लिए दीपक जलाने से तमाम तरह की परेशानियों और पापों से छुटकारा मिल जाता है और अपने आसपास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
इस दिन कुछ खास उपाय और पूजा करने से व्यक्ति को सुंदरता, आकर्षण, सकारात्मक ऊर्जा और महालक्ष्मी के साथ पूर्वजों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
ब्रह्ममुहूर्त में इन चीजों से करें स्नान
इस दिन की शुरूआत सुबह ब्रह्ममुहूर्त में जल्दी उठकर करनी चाहिए. इस दिन शरीर पर तेल मालिश करें क्योंकि नरकासुर के मरने के बाद श्रीकृष्ण ने ऐसा ही किया था. इसके बाद उबटन बनाकर स्नान करें. इस उबटन का आधार यदि पंच पदार्थ हो तो बहुत ही बेहतर होता है.
- बेसन
- नींबू का रस
- सरसों का तेल
- हल्दी और दूध
- इसके बाद पानी में अपामार्ग के पौधे की पत्तियां डालकर स्नान करें.
कहते हैं कि इस दिन जो सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान आदि नहीं करते हैं वे पूरे वर्ष दरिद्रता, मलिनता का शिकार रहते हैं साथ ही उनके शुभ कार्य नष्ट हो जाते हैं और दुःख में वृद्धि होती है. स्नान करने के बाद श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करें और वसुदेव सुत देवं, नरकासुर मर्दनमः. देवकी परमानन्दं, कृष्णम वंदे जगत गुरुम मंत्र का 108 बार जाप करें.
सांयकाल में अपनाएं ये उपाय
इस दिन विशेष रूप से महालक्ष्मी और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते है. इसके लिए सांयकाल के समय अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर कुमकुम द्वारा स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उस पर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें.
उसमें थोड़ी रक्त गुंजा डाल दें, फिर आपको एक थाली लेकर उसमे अष्टगंध द्वारा अष्टदल का चिन्ह बनाकर उसमें 14 सरसों के तेल के दीपक रखें. फिर उसमें थोड़ा नाग केसर डालें और उन्हें पीपल के पेड़ के पास ले जाएं. इसके बाद दीपक को प्रज्वलित करके 14 परिक्रमा करें.
परिक्रमा करने के बाद 11 बार ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’ नमः मंत्र का जाप करके घर लौट आएं, घर आकर मंदिर में हाथ जोड़कर अपने परमेश्वर, कुलदेवता एवं महालक्ष्मी का ध्यान करके, आशीर्वाद प्राप्त करें. निश्चित रूप से जीवन में परिवर्तन होगा.
दक्षिण दिशा को रखें साफ
नरक चतुर्दशी के दिन यमलोक के देवता कहलाने वाले यमराज कि पूजा की जाती है. यम की दिशा दक्षिण मानी गई है, इसलिए इस दिन घर की दक्षिण दिशा को भूल से भी गंदा न रखें. इसके अलावा इस दिन तेल का दान नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं.
साथ ही इस दिन तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.