Safalta Ki Kunji, Motivational Thoughts In Hindi: सफलता प्राप्त करने और सफल होने के लिए जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी है वह है ‘ज्ञान’ को अर्जित करना. किसी भी उम्र, अवस्था, स्थिति या किसी भी व्यक्ति से ज्ञान अर्जित हो सकता हैं. इसी तरह लक्ष्मण जी को रावण से कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ था, जिसे सफलता की अहम कुंजी माना जाता है.


रावण प्रकान्ड पंडित, अत्यंत विद्वान और पराक्रमी था. साथ ही रावण में एक कुशल राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी, अत्यन्त बलशाली होने का गुण भी था. साथ ही रावण को अनेकों शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त था. जब रावण मरण अवस्था में था, तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण को रावण से जीवन से संबंधित ज्ञान प्राप्त करने को कहा.


 रामजी की बात सुनकर लक्ष्मण जी को हैरानी हुई और उन्होंने इसका कारण पूछ लिया. तब राजमी बोले- रावण इस संसार के नीति, राजनीति और शक्ति के महान पंडित हैं. इसलिए वह जीवन से जुड़ी ऐसी शिक्षा तुम्हें दे सकता है जो और कोई नहीं दे सकता है. रामजी की आज्ञा का पालन करते हुए लक्ष्मण रावण के नजदीक गए, लेकिन रावण ने कुछ नहीं कहा. तब रामजी ने लक्ष्मण को समझाया कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमेशा चरणों के पास रहते हैं ना कि सिर के पास. इस बार लक्ष्मणजी रावण के चरणों के पास खड़े होकर जीवन से जुड़े ज्ञान के बारे में पूछने लगे. तब मरणासन्न अवस्था में ही रावण ने लक्ष्मण को जो बातें बताई, उसे जीवन में सफलता की कुंजी कहा जाता है.


रावण ने लक्ष्मण को दिए ये तीन ज्ञान



  • समय का महत्व: रावण ने लक्ष्मण से कहा, किस भी शुभ काम को करने के लिए समय का इंतजार मत करो. उसे शीघ्र अति शीघ्र पूरा करो. क्योंकि पता नहीं कब जीवन का अंतिम समय आ जाए. कहा जाता है कि रावण में आलस्य था और वह अन्य दिन की प्रतीक्षा में अपने कामों को टालता था, जिससे वे पूर्ण नहीं हो पाए. 

  • किसी को कमजोर नहीं समझे: रावण ने लक्ष्मण को दूसरी बात बताते हुए कहा, अपने प्रतिद्वंद्वी और शत्रु को कभी भी कमजोर समझने की भूल मत करो. स्वयं का उदाहरण देते हुए रावण ने कहा, मैनें रामजी की सेना को वानर-भालुओं की सेना सोचकर कमजोर समझने की भूल की, जोकि मेरे लिए काल साबित हुई.

  • रहस्य को रखें गुप्त: रावण ने लक्ष्मण को आखिरी सीख देते हुए कहा, यदि जीवन का कोई रहस्य हो तो उसे हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए. क्योंकि यदि वह रहस्य सबके सामने आ गया तो जीवन के लिए बुरा हो सकता है. दरअसल, इसका कारण यह था कि, रावण की नाभि में अमृतकुंड का रहस्य खुलने के बाद ही उसकी मृत्यु हुई.


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