Mokshada Ekadashi 2025: पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी का पारण 02 दिसंबर 2025 को सुबह 07:00 बजे से 09:05 बजे के बीच होगा. इस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इसलिए इस तिथि को गीता जयंती भी मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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शास्त्रों में कहा गया है कि कुरुक्षेत्र में महाभारत में जिन योद्धाओं ने युद्ध में वीरगति प्राप्त की थी, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. तभी से इस दिन का विशेष महत्व है. इस कारण  इस एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मोक्ष तो नहीं मिलता, लेकिन जीवन में कई पापों से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है. इस व्रत का फल पुण्यकारी होता है.

मान्यता है कि उपवास करने से मन शुद्ध होता है. शरीर स्वस्थ रहता है और पापों का नाश होता है. इस दिन गीता पाठ करने और श्रीकृष्ण के उपदेशों को जीवन में आत्मसात करने से मुक्ति मिलती है.

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मोक्षदा एकादशी का महत्व 

शास्त्रों में मान्यता है कि इस व्रत को करने से पुण्यफल की प्राप्ति होगी है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा, उपवास और भक्ति व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं. भक्तजन पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात्रि में जप, ध्यान और कीर्तन करते हैं. यह दिन आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति का प्रतीक माना गया है.

मोक्षदा एकादशी व्रत के नियम 

मोक्षदा एकादशी का व्रत शुरू करने के लिए एकादशी के आरंभ होने पर संकल्प लिया जाता है. उसके बाद श्रीहरि विष्णु के पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा की जाती है. पूजा के उपरांत गीता पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. व्रत के दौरान फलाहार किया जा सकता है.

अगले दिन द्वादशी तिथि पर निर्धारित समय में पारण किया जाता है, तभी व्रत पूर्ण माना जाता है. एकादशी से एक दिन पहले यानी दशमी से ही तामसिक भोजन से बचना चाहिए. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की ग्यारस को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. और इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. इस अवसर पर भगवान सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.