Mahabharat In Hindi: द्रौपदी महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं. महाभारत का युद्ध पांडवों ने भले ही अपने कौशल से जीता था लेकिन सही मायने में इस युद्ध को जीतने की प्रेरणा द्रौपदी ही थीं. द्रौपदी ने कभी सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया. जब भी और जहां भी सम्मान के खिलाफ बात आई द्रौपदी ने मुखरता के साथ अपनी बात को रखा. द्रौपदी एक दृढनिश्चियी महिला थीं, जो अपने सम्मान के लिए रणभूमि में जाकर कौरवों के खून से अपनी प्यास बुझाती हैं. द्रौपदी कभी पराजय को स्वीकार नहीं करती हैं. वे एक निडर स्त्री के तौर पर नजर आती है. आइए जानते हैं द्रौपदी के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें.


भीष्म पितामह और आचार्य द्रोणाचार्य की निंदा की
द्रौपदी अनैतिक कृत्य को कभी बर्दाश्त नहीं करती थीं. यही कारण था कि जब भारी सभा में द्रौपदी का चीर हरण कर अपमान किया गया तो सभा में बैठे भीष्म पितामह, गुरु द्रोण और कृपाचार्य जैसे महारथियों की कठोर निंदा करती हैं और उन्हें अगाह करती है आपके इस कृत्य के लिए इतिहास कभी आपको माफ नहीं करेगा.


द्रौपदी का जन्म
द्रौपदी राजा द्रुपद की पुत्री थी. राजा द्रुपद पांचाल देश के राजा थे. जिस कारण द्रौपदी को पंचाली भी कहा जाता है. राजा द्रुपद ने द्रौपदी को कुरु वंश के नाश के लिए यज्ञ किया, जिसके फलस्वरुप उन्हें एक पुत्र और एक पुत्री की प्राप्ति हुई. यज्ञ से उत्पन्न होने के कारण द्रौपदी को याज्ञनिक भी कहा जाता है. यज्ञ से जो बालक पैदा हुआ उसका नाम धृष्टद्युम्न था.


शिवजी का वरदान
द्रौपदी को पूर्व जन्म में पति का सुख प्राप्त नहीं हो सका. इसलिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने द्रौपदी को वरदान मांगने के लिए कहा. तब द्रौपदी ने सर्वगुणयुक्त पति प्राप्ति का वरदान शिवजी से मांगा. वरदान के कारण ही द्रौपदी को पांच पति प्राप्त हुए जो अलग अलग गुणों से युक्त थे. द्रौपदी को आजीवन कुंवारी रहने का भी वरदान प्राप्त था. जिस कारण द्रौपदी अपने सभी पतियों के साथ समान व्यवहार कर पाती थीं. सभी पतियों के साथ पत्नी धर्म को निभाते हुए भी द्रौपदी हमेशा कुंवारी रहीं.


भीम से था विशेष लगाव
द्रौपदी का अर्जुन को सबसे अधिक प्रेम करती थीं लेकिन उन्हें पांचों पांडव में से सबसे अधिक लगाव भीम से था. इसका कारण ये था कि पांचों पांडव में भीम पहले ऐसे व्यक्ति थे जो द्रौपदी के साथ होने वाले अन्याय पर सबसे पहले विरोध करते थे. चीर हरण के दौरान भी भीम ने ही सबसे अधिक विरोध किया था यही नहीं भीम ने ही दुशासन वध करने की प्रतिज्ञा ली थी और द्रौपदी की प्रतिज्ञा को भी भीम ने ही पूरा किया था. इसीलिए कहा जाता है कि द्रौपदी को भीम से विशेष लगाव था.


श्रीकृष्ण को मानती थीं भाई और सच्चा मित्र
द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण का बहुत सम्मान करती थीं. द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण को अपना सच्चा मित्र और भाई मानती थी. यही कारण था कि जब द्रौपदी पर संकट आया तो भगवान श्रीकृष्ण दौड़े चले आए और उनके सम्मान की रक्षा की.


द्रौपदी महाकाली का अवतार थीं
द्रौपदी के कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. जिनमें उन्हें पांचाली, यज्ञसेनी महाभारती और सैरंध्री के नाम से भी जाना जाता है. द्रौपदी को महाकाली का अवतार भी कहा जाता है. कहा जाता है कि उनका जन्म अभिमानी राजाओं का अभिमान नष्ट करने के लिए हुआ था जो पृथ्वी पर अधर्म को बढ़ावा दे रहे थे.


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