Magh Mela 2026: हिंदू धर्म में माघ मेला को बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है. यह मेला हर वर्ष प्रयागराज के संगम तट पर लगता है. संगम तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है. श्रद्धालु मानते हैं कि इस संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है.
माघ मेला का महत्व सिर्फ डुबकी लगाने से ही नहीं है बल्कि यह साधु-संतों, तपस्वियों और आम भक्तों और आध्यात्मिक संगम होता है. देश-विदेश से लोग यहां पहुंचकर पूजा, दान और ध्यान करते हैं.
माना जाता है कि महाकुंभ में डुबकी लगाने से जितना फल व पुण्य भक्त को मिलते हैं उतना ही माघ मेला के पूर्णिमा के दिन संगम तट पर डुबकी लगाने से मिलता है. इसलिए इस बार का माघ मेला अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह मेला भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा की झलक भी प्रस्तुत करता है.
माघ मेला 2026 कब शुरू होगा
माघ मेला 2026 की शुरुआत तीन जनवरी से होगी और यह 15 फरवरी तक चलेगा. वैदिक पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा तिथि 2 जनवरी की शाम 6.54 बजे शुरू होकर 3 जनवरी की दोपहर 3.32 बजे तक रहेगी.
मेला का पहला पवित्र स्नान और मुख्य कार्यक्रम तीन जनवरी रविवार को होगा. संगम में इस दिन हजारों श्रद्धालु स्नान करके मेला की धार्मिक शुरुआत करेंगे. इस दौरान प्रयागराज पूरी तरह आध्यात्मिक रंग में रंग जाता है और संगम तट पर हर दिन धार्मिक आयोजन होते हैं. महाकुंभ वाली छंटा देखने को मिलती है.
माघ मेला और कल्पवास का महत्व
माघ मेले में कल्पवास को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. शास्त्रों में भी इसका महत्व बताया गया है. यह ऋषि मुनियों के समय से चला आ रहा है. कल्पवास में श्रद्धालु पूरे एक महीना नदी के किनारे रहकर ध्यान, उपवास और पूजा करते हैं. कल्पवासी बहुत सादगी से जीवन बिताते हैं.
वे रोज सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं. ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और केवल सादा शाकाहारी भोजन करते हैं. इस साल माघ मेला 03 जनवरी 2026 से शुरू होकर 15 फरवरी 2026 को समाप्त होगा. इस दौरान संगम में स्नान करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है.
मेला की छह मुख्य स्नान तिथियां
- 3 जनवरी, पौष पूर्णिमा: इस दिन डुबकी लगाने के साथ मेला का शुभारंभ होगा.
- 15 जनवरी, मकर संक्रांति: सूर्य के उत्तरायण होने पर इस दिन डुबकी का विशेष महत्व है.
- 18 जनवरी, मौनी अमावस्या: यह पापों के नाश और मौन साधना का दिन होता है.
- 23 जनवरी, बसंत पंचमी: इस दिन विद्या, संगीत और कला की पूजा की जाती है.
- 1 फरवरी, माघी पूर्णिमा: दान और स्नान का श्रेष्ठ दिन. यह अत्यंत पवित्र माना जाता है.
- 15 फरवरी, महाशिवरात्रि: शिव आराधना और पवित्र स्नान के साथ इस मेला का समापन होता है.
इस बार की माघ पूर्णिमा क्यों विशेष
अगर आप महाकुंभ में स्नान नहीं कर पाए हों, तो इस बार की माघ पूर्णिमा आपके लिए बड़ा अवसर है. एक फरवरी 2026 को ऐसा शुभ योग बन रहा है, जिसमें संगम स्नान का फल महाकुंभ स्नान के समान माना गया है. इस दिन भक्ति, दान और स्नान का विशेष महत्व है. और लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे.
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