गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
गोवर्धन आरती श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार। तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तेरी सात कोस की परिकम्मा, और चकलेश्वर विश्राम तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल। तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ, तेरी झाँकी बनी विशाल। तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण। करो भक्त का बेड़ा पार तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। गाय व बछड़ों की पूजा का भी है विधान इस दिन विशेष रूप से गाय व बछड़ों की पूजा भी की जाती है. क्योंकि भगवान कृष्ण को इनसे बहुत ही लगाव था. वो खुद इन्हें चराने के लिए ले जाया करते थे. इसलिए इस दिन गाय व बछड़ों की सेवा करने से कई गुना फल प्राप्त किया जा सकता है.