Kharmas 2021: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिसंबर मध्य से जनवरी मध्य तक खरमास लगता है. इस बार यह 14 दिसंबर से लगने जा रहा है. ज्योतिष में खरमास को पूजा पाठ के लिए शुभ माना गया है, लेकिन कोई भी मांगलिक काम करना शुभ नहीं होता है. क्योंकि इस दरमियान सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और एक माह बाद जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब समाप्त हो जाता है. इस बार इसके चलते शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कार्यों पर 14 दिसंबर से रोक लग जाएगी. इस दौरान नया मकान या वाहन भी नहीं लेना चाहिए.


सूर्य पर खरमास का प्रभाव
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक सूर्य हर राशि में करीब एक माह रहते हैं और एक निश्चित समय तक रहने के साथ राशि को बदल देते हैं. सूर्य जब धनु में प्रवेश करते हैं तो खरमास लग जाता है. धनु गुरु बृहस्पति की राशि है. सूर्यदेव जब भी बृहस्पति राशि पर भ्रमण करते हैं तो यह कुप्रभाव पैदा करता है. मान्यता है कि इसके चलते सूर्यदेव कमजोर हो जाते हैं, जिसके चलते उन्हें म​लीन माना जाता है. जबकि इसी दौरान गुरु का स्वभाव उग्र हो उठता है. सूर्य की कमजोर स्थिति अशुभ मानी गई है. बृहस्पति को देवगुरु होने के चलते स्वभाव में उग्रता शुभ नहीं होती. 


एक माह बिना घोड़ों के चलते सूर्य की घट जाती है रफ्तार
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों से जुड़े रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा अनवरत करते रहते हैं. मगर उनके घोड़े कहीं भी नहीं रुकने के चलते थक जाते हैं, जिनकी प्यास बुझाने के लिए सूर्यदेव एक तालाब पर ले जाते हैं, जहां उन्हें दो खर यानी गधे मिलते हैं. सूर्यदेव अपने अश्वों को विश्राम के लिए छोड़कर दोनों गधों को रथ में जोड़कर ब्रह्मांड का चक्कर काटने लगते हैं, पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्यदेव का रथ रुकने पर अनर्थ हो सकता था, इसलिए सूर्यदेव को चलते रहना है. मगर सात अश्वों के बजाय दो गधों के साथ रथ संचालन धीमा हो जाता है, जिसके चलते सूर्यदेव की रफ्तार अचानक कम हो जाती है. किसी तरह सूर्यदेव दोनों गधों के सहारे एक मास चक्र पूरा करते हैं. तब तक उनके घोड़े विश्राम कर चुके होते हैं तो सूर्य की रफ्तार वापस मिल जाती है. इस तरह हर साल ये क्रम चलता है, जिसमें खरमास आते ही सूर्य देव की रफ्तार और तेज मद्धिम पड़ जाता है.


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