Karwa Chauth 2023: पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है. इस पर्व में चंद्रमा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रमा निकलने के बाद ही अपना उपवास खोलती है. 


ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि, इस साल करवा चौथ सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनाई जाएगी. सबसे खास बात यह है कि इस साल करवा चौथ के दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाएगा. कृष्णपक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है और इस साल यह तिथि बुधवार 1 नवंबर को है. बुधवार 1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का योग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04:36 मिनट रहेगा. इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02:07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा.


सबसे खास बात यह है कि इस साल करवा चौथ के दिन ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाएगा. जोकि करवा चौथ के महत्व और भी ज्यादा बढ़ा देता है. यानी इस साल करवा चौथ के दिन जो भी व्रत रखकर पूजा अर्चना करेगा. उनको भगवान शिव और गणेशजी का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा.


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वहीं इस साल चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर की रात  9:30 मिनट से शुरू हो रही है. जिसका समापन अगले दिन यानी 1 नवंबर की रात 09:19 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार 1 नवंबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. 1 नवंबर को पति-पत्नी का महापर्व करवा चौथ है. ये व्रत जीवनसाथी के लिए समर्पण, प्रेम और त्याग का भाव दिखाता है.


महिलाएं पति के सुखी जीवन, सौभाग्य, अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए दिनभर निराहार और निर्जल रहती हैं. इस रिश्ते में जब तक एक-दूसरे के बीच विश्वास है, तब तक प्रेम बना रहता है. अगर जीवन साथी पर अविश्वास का भाव जाग जाता है तो ये रिश्ता टिक नहीं पाता है.


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखे जाने वाले इस व्रत को महिलाएं पति की दीर्घायु के  लिए रखती हैं. करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति की आयु लंबी होती है. इसलिए विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं.


इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित गणेशजी व मंगल ग्रह के स्वामी देव सेनापति कार्तिकेय की भी विशेष पूजा होती है. करवा चौथ से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और खास बनाती हैं. करवा चौथ का त्योहार मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान आदि राज्यों में मनाया जाता है. माना जाता है कि, ये व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में भी सुख बना रहता है. 


करवा चौथ 2023 तिथि (Karwa Chauth 2023 Date)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत मंगलवार 31 अक्टूबर को रात 9:30 मिनट से हो रही है. यह तिथि अगले दिन 1 नवंबर को रात 9:19 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत बुधवार 1 नवंबर 2023 को रखा जाएगा.


करवा चौथ पर बन रहा शुभ संयोग (Karwa Chauth 2023 Shubh Yog)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का संयोग बन रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04:36 मिनट रहेगा. इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02:07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा. इन दोनों शुभ संयोग की वजह से इस साल करवा चौथ का महत्व और बढ़ गया है.


करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर



  • चतुर्थी तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर  को रात  9:30 मिनट से 

  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 1 नवंबर की रात 09:19 मिनट पर


चंद्र दर्शन का समय (Karwa Chauth 2023 Moonrise Time)


ज्योतिषाचार्य  ने बताया कि वहीं ये भी मान्यता है कि कि ऐसे समय में चंद्र दर्शन मनवांछित फल प्रदान करता है. 1 नवंबर 2023 यानी करवा चौथ की रात्रि 08:15 बजे चंद्रोदय होगा.


करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2023 Puja Time)



  • 1 नवंबर को सायं 05:36 मिनट से 06:54 मिनट तक

  • अमृतकाल मुहूर्त- सायं 07:34 मिनट से 09:13 मिनट तक

  • इस समय आप चंद्रमा को देखकर व्रत का पारण सकते हैं. यह समय काफी शुभ रहने वाला है.


पति के लिए व्रत की परंपरा (Karwa Chauth 2023 Importance)


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है. इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई. जब यम आए तो सावित्रि ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया. तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे. दूसरी कहानी पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है. वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे. द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी. उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था. द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए.


चांद निकलने तक रहता है व्रत


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाने की परंपरा है. पति की लंबी उम्र की कामना से महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं. यानी पूरे दिन पानी भी नहीं पीती. सुहागिनों के लिए ये व्रत बहुत खास होता है. इसका इंतजार महिलाओं को साल भर रहता है. करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है. शाम को चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य अर्पित करने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं. इस दिन चतुर्थी माता और गणेशजी की भी पूजा की जाती है.


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