Kartik Purnima 2021: कार्तिक मास की पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर राक्षस का अंत किया था. इसी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी. तब से ये परंपरा आज भी देव दीपावली के रूप में मनाई जाती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान से पुण्य मिलता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी होती है. 


कार्तिक पूर्णिमा पर शुरू मुहूर्त 
कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ- 18 नवंबर 2021 दोपहर 12:00 बजे से
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर 2021 दोपहर 02:26 पर
कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय- 17:28:24


पूजन विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी होती है, इसलिए इस दिन शाम को नदी, सरोवर या धर्म स्थान पर दीपदान जरूर करें
पूर्णिमा पर ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें.
व्रत का संकल्प लेकर विष्णुजी के समक्ष शुद्ध देसी घी का दीपक जलाना चाहिए.
अब तिलक कर धूप-दीप, फल, फूल वह नैवेद्य से विधिवत् पूजन करें.
शाम को विष्णु पूजन करें, देसी घी में भूनकर बनाए आटे का कसार, पंचामृत चढ़ाएं.
विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करते हुए आरती उतारें.
चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य देकर व्रत का पारण करना चाहिए.


तुलसी पूजन का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक में तुलसी पूजन से भगवान विष्णु,मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. जगत के पालनहार अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, यश, ऐश्वर्य, धन तथा सद्बुद्धि का वरदान देते हैं. कार्तिक मास में तुलसी की पूजा करने से यमदूतों का भय समाप्त होता है. जो भक्त सच्ची श्रद्धा से तुलसी पूजन करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.


तुलसी पूजा विधि 
सनातन धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पूजनीय है. घर में तुलसी रोपण से सकारात्मक ऊर्जा रहती है. हर विकारों से सुरक्षा मिलती है. जहां तुलसी पौधा होता है, उस घर में सुख, शांति, सौभाग्य, ऐश्वर्य एवं धन बना रहता है. विष्णुजी, मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए कार्तिक मास में तुलसी पूजन जरूर करना चाहिए. परंपराओं के अनुसार, गुरुवार को तुलसी का पौधा लगाना उत्तम है. तुलसी पौधा घर के आंगन में लगाएं, ध्यान रहे पौधा उत्तर या ईशान कोण में हो. धूप, दीप, अगरबत्ती, फूल आदि से तुलसी पौधे की पूजा करें. इसके बाद तुलसी मंत्र का उच्चारण का जल अर्पित करें. शाम को तुलसी पौधे के पास शुद्ध घी का दीपक जलाना उत्तम माना गया है.


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