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श्री जगन्नाथ भगवान के मंत्र (Mantra Jaap) ॐ पधाय श्रीजगन्नाथाय नम:
ॐ शिखिने श्रीजगन्नाथाय नम:
ॐ देवादिदेव श्रीजगन्नाथाय नम:
ॐ अनंताय श्रीजगन्नाथाय नम:
ॐ विश्वरूपेण श्रीजगन्नाथाय नम:
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12 साल में एक बार बदली जाती है भगवान जगनन्नाथ की मूर्ति (Jagannath Rath Yatra 2024) भगवान जगन्नाथ के मंदिर में 12 साल के बाद भगवान की मूर्तियों को बदला जाता है. जिसके बाद काष्ठ की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है. भगवान की मूर्तियों को बदलते समय शहर की बिजली काट दी जाती है. इस दौराम केवल पुजारी को ही मंदिर में जाने की अनुति होती है.
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जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 (Jagannath Rath Yatra 2024) जगन्नाथ रथ यात्रा आज से लेकर अगले 10 दिनों तक चलेगी. यानि 7 जुलाई से शुरु हुई यात्रा 16 जुलाई 2024 तक चलेगी. हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरु होती है. पुरी के जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकलती है और आषाढ़ शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन यात्रा का समापन होता है.
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जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व (Importance of Jagannath Rath Yatra) जगन्नाथ भगवान रथ यात्रा के महत्व को बताते हुए स्कंद पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के नाम के नाम का जप करते हुए गुंडीचा नगर तक जाता है, वह पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है.
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जगन्नाथ यात्रा 2024 की शुभकामनाएं = liveblogState.currentOffset ? 'uk-card uk-card-default uk-card-body uk-padding-small _box_shadow hidden' : 'uk-card uk-card-default uk-card-body uk-padding-small _box_shadow'">
रथ यात्रा का समापन कैसे होता है जगन्नाथ रथ यात्रा का समापन निलाद्री विजया नाम के रिवाज से होता है. इसमें रथों को खंडित करने की परंपरा है. इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि रथों का खंडन रथ यात्रा पूरा होने का प्रतीक है और यात्रा पूरी होने के बाद भगवान जगन्नाथ इस वादे के साथ मंदिर में वापस लौट आए हैं कि अगले साल फिर से भक्तों को दर्शन देंगे.
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भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा के दर्पदलन रथ की खासियत भगवान जगन्नाथ की छोटी बहन सुभद्रा का रथ भी रथ यात्रा के दौरान निकाला जाता है. इस रथ का नाम दर्पदलन है, जिसकी ऊंचाई 42.32 फीट है और इसमें 12 पहिए लगे होते हैं. रथ का रंग लाल और काला होता है. इसके सारथी अर्जुन हैं.
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भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र के तालध्वज रथ की खासियत भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र के रथ यात्रा के दौरान सबसे आगे रहता है. इसने रथ का नाम तालध्वज है, जिसकी ऊंचाई 43.30 फीट है और इसमें 14 पहिए होते हैं. बलभद्र के रथ का रंग लाल और हरा होता है. इस रथ के सारथी मातलि हैं.
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जानिए भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ की खासियत: (Lord Jagannath rath speciality) भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदीघोष है. इसके साथ ही इसे गरुड़ध्वज भी कहा जाता है. इसकी ऊंचाई 42.65 फीट होती है और इसमें 16 पहिए लगे होते हैं. भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है. इस रथ के सारथी दारुक हैं, जोकि भगवान को रथ पर विराजित कर पूरे नगर का भ्रमण कराते हैं.
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रथ यात्रा के तीनों रथों का क्या नाम है? रथ यात्रा में तीन रथ होता है. एक रथ पर भगवान जगन्नाथ विराजते हैं, एक में बलराम और एक रथ में सुभद्रा होती है. सबसे आगे बलराम का रथ होता है, जिसे तालध्वज कहा जाता है. सबसे पीछे जगन्नाथ का रथ होता है, जिसे नंदीघोष का नाम दिया गया है. वहीं बीच में बहन सुभद्रा का रथ होता है. इसे दर्पदलन कहा जाता है.
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घर पर कैसे करें भगवान जगन्नाथ की पूजा: (Jagannath Puja at Home) पुरी की जगन्नाथ यात्रा विश्वभर में प्रसिद्ध है. लेकिन हर किसी के लिए इस भव्य यात्रा में शामिल होना संभव नहीं होता, ऐसे में आप घर पर भी भगवान जगन्नाथ की पूजा कर सकते हैं. इसके लिए पूजाघर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की फोटो स्थापित कर उनका पूजन करें. भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाकर आरती करें और मंत्रों जाप करें. इस दिन घर पर भी सात्विक चीजें ही बनाएं.
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Rath Yatra 2024 Shubh Yog (रथ यात्रा पर आज शुभ योग)
रवि पुष्य नक्षत्र (Ravi Pushya Nakshatra) |
सर्वार्थ सिद्धि योग (Sarvartha Siddhi Yog) |
शिववास (Shivvas) |
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जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 10 दिनों का शेड्यूल: (Rath Yatra 10 Days Schedule)
तिथि (Date) |
क्या होगा (Program) |
महत्व (Importance) |
7 जुलाई 2024 |
जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू |
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को रथ में विराजमान कराकर सिंहद्वार से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे. |
8-15 जुलाई 2024 |
गुंडिचा मंदिर |
गुंडिचा में रहेंगे और भिन्न-भिन्न पकवानों का भोग लगाया जाएगा. |
16 जुलाई 2024 |
रथ यात्रा का समापन |
तीनों देवी-देवता गुंडिचा से वापिस जगन्नाथ मंदिर लौट जाएंगे. |
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भाई-बहन की पूजा का पर्व है रथ यात्रा रथ यात्रा का त्योहार और पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर बहुत ही खास है. क्योंकि जगन्नाथ मंदिर ऐसा मंदिर है जहां भगवान कृष्ण, बलराम और बहन सुभद्रा तीनों भाई-बहन की मूर्तियां स्थापित है और इनकी पूजा होती है.
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(Why is Rath Yatra special) क्यों खास है रथ यात्रा ? भक्तों के लिए रथ यात्रा का समय इसलिए बहुत खास हो जाता है कि, भगवान पूरे साल मंदिर में विरामान रहते हैं और इस समय मंदिर से बाहर निकलकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. इसलिए रथयात्रा की अवधि को बहुत खास माना जाता है.
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(Rath Yatra 2024 Gundicha mandir): गुंडीचा मंदिर क्यों जाते हैं भगवान जगन्नाथ जगन्नाथ मंदिर से निकलकर रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा संग गुंडीचा मंदिर जाते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. यहां भगवान के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. गुंडीचा को भगवान की मौसी का घर माना जाता है.
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(Jagannath Rath Yatra 2024 Full Shedule): जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू, जानिए भगवान कब पहुंचेंगे गुंडीचा मंदिर? आज रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे इसके बाद सोमवार या मंगलवार तक भगवान गुंडीचा मंदिर पहुंच जाएंगे और 15 जुलाई तक यहीं रहेंगे, फिर 16 जुलाई को सभी देवी-देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौट जाएंगे.
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आज से शुरू हुई 10 दिवसीय रथ यात्रा आज 7 जुलाई से रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. आज से लेकर पूरे 10 दिनों तक भगवान जनमानस के बीच रहेंगे.