Kharmas 2024: खरमास (मलमास) का महीना 14 मार्च से शुरू हो गया है. जो 13 अप्रैल 2024 को समाप्त होगा. इस दौरान विवाह, सगाई, यज्ञ, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं होंगे. साथ ही नया घर या वाहन आदि खरीदना भी वर्जित हैं. ऐसा माना जाता है कि इस माह में सूर्य की गति धीमी हो जाती है. जिस कारण कोई भी शुभ काम सफल नहीं होते हैं.


शास्त्रों में खरमास का महीना शुभ नहीं माना गया है. इस अवधि में मांगलिक कार्य करना प्रतिबंधित है. साथ ही कुछ नियमों का पालन करने के लिए भी कहा गया है.


ज्योतिष शास्त्र और हिंदू धर्म में खरमास को बहुत ही अशुभ माना जाता है. इस दौरान कोई भी शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. खरमास पूरे एक माह तक रहता है. पंचांग अनुसार से खरमास शुरू हो गया है जो 13 अप्रैल 2024 को मेष संक्रांति के दिन समाप्त हो जाएगा. 




खरमास के दौरान शादी-विवाह आदि कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. किसी भी नए कार्य की शुरूआत के लिए भी खरमास को अशुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास पूजा-अर्चना के लिए शुभ माना गया है.


इस पूरे माह में सूर्य देव की पूजा का फल बताया गया है. खरमास के पूरे माह में सूर्य देव को तांबे के पात्र से अर्घ्य देना चाहिए. सूर्य पाठ और सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए.


खरमास में तामसिक भोजन का सेवन न करें. शराब आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए. तांबे के पात्र रखा पानी नहीं पीना चाहिए. इस मास में कोई भी नई वस्तुएं और वाहन नहीं खरीदनें चाहिए. गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. कोई भी नया कोराबार इस अवधि में नहीं शुरू करना चाहिए.


खरमास कब से शुरू (Kharmas 2024 Start Date and Time)
पंचांग के अनुसार, 14 मार्च को दोपहर 12.34 बजे सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी. सूर्य देव 13 अप्रैल को रात्रि 9.03 बजे तक मीन राशि में रहेंगे.


इस अवधि में खरमास रहेगा. राशि चक्र की अंतिम राशि मीन है और जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है तो खरमास माना जाता है.


खरमास कब खत्म होगा (Kharmas 2024 End Date and Time)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 14 मार्च से प्रारंभ हो रहे खरमास का समापन 13 अप्रैल को होगा. पंचांग के अनुसार, 14 मार्च को दोपहर 12.34 बजे सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी. सूर्य देव 13 अप्रैल को रात्रि 9.03 बजे तक मीन राशि में रहेंगे. इस अवधि में खरमास रहेगा. 


मांगलिक कार्य करना वर्जित (Kharmas 2024 end date and time)
धार्मिक और ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, खरमास को शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए इस माह के दौरान कोई भी शुभ, मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है.


इस दौरान हिंदू धर्म में बताए गए संस्कार, जैसे मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, नामकरण, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ, वधू प्रवेश, सगाई, विवाह आदि कोई भी कार्य नहीं किया जाता है. 


ज्योतिष के अनुसार, साल में दो बार खरमास लगता है. जब सूर्य मार्गी होते हुए बारह राशियों में एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं तो इस दौरान बृहस्पति के आधिपत्य वाली राशि धनु और मीन में जब सूर्य का प्रवेश होता है तो खरमास लगता है.


इस तरह से मार्च माह में जब सूर्य मीन में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है तो वहीं दिसंबर में जब सूर्य धनु में प्रेवश करते हैं तब खरमास लगता है. इस समय सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है. खासतौर पर जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो उन्हें खरमास के दौरान सूर्य उपासना अवश्य करनी चाहिए.


गुरु देव बृहस्पति धनु राशि के स्वामी हैं. बृहस्पति का अपनी ही राशि में प्रवेश इंसान के लिए अच्छा नहीं होता है. ऐसा होने पर लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर पड़ जाता है. इस राशि में सूर्य के कमजोर होने कारण इसे मलमास कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है. सूर्य के कमजोर स्थिति में होने की वजह से इस महीने शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है.


इन बातों का रखें ध्यान
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि खरमास में शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. इस समय अगर विवाह किया जाए तो भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों नहीं मिलते हैं. इस समय मकान का निर्माण या संपत्ति की खरीदारी वर्जित होती है.


इस दौरान बनाए गए मकान आमतौर पर कमजोर होते हैं और उनसे निवास का सुख नहीं मिल पाता है. खरमास में नया कार्य या व्यापार शुरू न करें. इससे व्यापार में शुभ फलों के प्राप्त होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.


इस दौरान द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन जैसे कार्य भी वर्जित होते हैं क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की सम्भावना होती है. इस महीने धार्मिक अनुष्ठान न करें. हर रोज किए जाने वाले अनुष्ठान कर सकते हैं.


खरमास की कथा (Kharmas Katha)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्यदेव को कहीं रुकने की अनुमति नहीं है, लेकिन रथ से जुड़े घोड़े लगातार दौड़ने और आराम न करने के कारण थक जाते हैं.


घोड़ों की ऐसी हालत देखकर एक बार सूरज देवता का मन द्रवित हो गया. जिसके बाद वे घोड़ों को तालाब किनारे ले गए. उन्हें यह आभास हुआ कि रथ रुक गया तो अनहोनी हो जाएगी.


तब सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए वहीं छोड़ दिया. वह रथ में गधों को जोड़ा. गधों को सूरज देवता का रथ खींचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. इस दौरान रथ की गति धीमी हो जाती है.


सूर्य देव एक माह में चक्र पूरा करते हैं. इस बीच घोड़ों ने भी आराम कर लिया. इसके बाद सूर्य का रथ पुनः अपनी गति में लौट आता है. इस तरह यह सिलसिला हर वर्ष जारी जारी रहता है.


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