Hariyali Teej in Banke Bihari Mandir: विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में आज हरियाली तीज का पावन पर्व हिंडोला उत्सव के रूप में प्रतिवर्ष की भांति हर्षोल्लास से मनाया गया. इस मौके पर श्रद्धालु भक्तों ने स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन कर अपने आप को धन्य माना.
वैसे तो हरियाली-तीज पर ब्रज के सभी प्रमुख मंदिरों में झूलनोत्सव के अंतर्गत झूले सजाये जाते हैं और ठाकुरजी को झूला झुलाकर प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया जाता है. लेकिन आज हरियाली तीज के पर्व की विशेष धूम बांके बिहारी जी मंदिर में विशेष तौर पर दिखाई देती है, जिसे देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आज वृंदावन पहुंचे हैं.
बांके बिहारी को स्वर्ण रजत हिंडोले में किया गया विराजमानसाल में एक बार आज के दिन ही ठाकुर बांके बिहारी लाल को मंदिर के गर्भ-गृह से बाहर निकालकर करीब 32 फुट चौड़े व 12 फुट ऊंचे विशाल स्वर्ण- रजत हिंडोले में विराजमान कराया जाता है और उनके दोनों ओर खड़ीं सखियां प्रतीकात्मक रूप में उन्हें झूला झुलाती हैं.
हरियाली-तीज के मौके पर हरे रंग के महत्व को देखते हुए ठाकुर जी और सखियों को हरे रंग की विशेष पोशाक धारण कराई जाती है और मंदिर में सावन का एहसास कराने के लिए हरे रंगों को ज्यादा प्रमुखता देते हुए सजावट की गई.
विशेष मिठाई का लगाया गया भोगसाथ ही ठाकुर जी को भोग भी इस पर्व की विशेष मिठाई घेवर-फैनी अर्पित किया जाता है, साथ ही मंदिर के पीछे ठाकुर जी की थकान मिटाने यानी विश्राम के लिए सुख सेज भी सजाई जाती है.
मान्यता के अनुसार मंदिर बंद होने के बाद ठाकुरजी को यहां विश्राम कराया जाता है. वहीं मन्दिर परिसर में हिंडोले की तैयारियां सम्पन्न हो जाने के बाद प्रातः 7 :30 बजे से ही दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए हैं.
श्रद्धालुओं ने किए बांके बिहारी के दर्शनइस पल का गवाह बनने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु भक्त उत्साह और उमंग के साथ मंदिर में प्रवेश किया. भक्तों ने जब अपने आराध्य को स्वर्ण-रजत और बेशकीमती हिंडोले में झूलते हुए देखा तो उनके आनंद का ठिकाना नहीं रहा और वे स्वयं को धन्य महसूस करने लगे.
वहीं मंदिर परिसर की भव्य सजावट के साथ ही ठाकुरजी की हरे रंग की पोशाक और स्वर्ण-रजत के आकर्षक श्रृंगार से मन को मोहने वाला सौंदर्य भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. जिससे आनंद रस में सराबोर भक्तजन जय-जय करते हुए अपनी प्रसन्नता का इजहार करने लगे और संपूर्ण मंदिर परिसर बांके बिहारी लाल के जयकारों से गुंजायमान हो उठा.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.