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हर साल सावन मास के शुक्ल तृतीया को मानी जाने वाली हरियाली तीज का सनातन हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के रूप में इस तृतीया को हरियाली तीज की मान्यता दी गई है जिसे सुहागिन महिलाएं पूरे धूम-धाम से मनाती हैं.
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हरियाली तीज में साफ सफाई का है विशेष महत्त्व
1. आज हरियाली तीज का पर्व है. सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रह कर भगवान शिव पार्वती और गणेश का पूजन करेंगी. परन्तु इसके पहले घर की साफ-सफाई बहुत जरूरी है. इस लिए व्रत धारण करने वाली महिलायें सुबह उठकर घर की सफाई कर लें तथा पूजा घर को तोरण मंडप से सजालें.
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2. इसके बाद मिटटी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति बनाकर पूजा चौकी की पीठ पर स्थापित करें. उसके बाद देवताओं का आवाहन करते हुए षोडशोपचार पूजन करें.
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मेष राशि का स्वामी मंगल होता है. इस राशि की महिलाएं कर्मठ और अधिक ऊर्जावान होती हैं. मेष राशि की महिलाओं को हरियाली तीज की पूजा लाल वस्त्र पहन कर करनी चाहिए. गोल्डन कलर के वस्त्र भी इस राशि की महिलाओं के लिए शुभ है.
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पौराणिक कथा के मुताबिक़ माता पार्वती ही सावन मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया को देवी रूप में अर्थात तीज माता के नाम से अवतरित हुई थी. इस लिए महिलायें इनकी पूजा तीज माता के रूप में भी करती है.
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हरियाली तीज को सुहागिन महिलायें अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ गणेश भगवान की पूजा करती हैं. 16 श्रृंगार करके शाम के समय हरियाली तीज की कथा सुनती हैं. उसके बाद आरती करके प्रसाद वितरण करती हैं.
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सावन के शुक्ल तृतीया को क्यों कहते हैं हरियाली तीज?
आज 23 जुलाई को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है. हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है. इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं. सावन का मास बरसात का होता है. इस महीने में हर और हरियाली छाई रहती है. इस वजह से इसे हरियाली तीज भी कहते हैं.
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सुहागिनों को करना चाहिए ये उपाय
सभी महिलाओं को मन में पति का ध्यान करके उनके लंबी उम्र की कमाना करनी चाहिए. सासु माँ का पैर छूकर उन्हें सुहाग की सामग्री देनी चाहिए. यदि सासु माँ न हों तो जेठानी को या घर में किसी भी बुजुर्ग महिला को देकर आशीर्वाद लेना चाहिए.
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यह है हरियाली तीज की पूजा विधि
1. हरियाली तीज के दिन सभी सुहागन महिलायें सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएँ. उसके बाद वे मायके से आए हुए कपड़े पहन कर सोलह श्रृंगार कर लें. उसके बाद सबसे पहले पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती के साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि चढ़ाएं.
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2. इसके बाद भगवान शिव को उनके प्रिय खाद्य भांग, धतूरा, बेल पत्र, श्वेत फूल, अक्षत्,धूप, दीप, वस्त्र और गंध आदि चढ़ाकर नमन वंदन करें. इसके बाद अब गणेश जी की अक्षत्, धूप, दीप, वस्त्र और गंध आदि से पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें. फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें.
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शिव पुराण के मुताबिक़ आज के दिन ही भगवान शिव का माता पार्वती के साथ पुनर्मिलन हुआ था. इस लिए सुहागन स्त्रियों के लिए आज का दिन विशेष महत्व का रखता है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह उठकर पूजा स्थल की साफ़ सफाई करके स्नान करती अहिं और उसके बाद धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर के साथ भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा करती है. अपने पति के लंबी आयु की याचना करती हैं.
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पूरे देश में आज यानी 23 जुलाई 2020, गुरुवार को देशभर में हरियाली तीज का त्योहार मनाया जा रहा है. इस त्योहार के दिन महिलायें व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं.
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चातुर्मास आरंभ हो चुके हैं. चातुर्मास सावन का प्रथम मास है. हरियाली तीज सावन मास का महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की प्रथम मिलन हुआ था. सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व सुखद दांपत्य जीवन के लिए प्रेरित करता है. इस दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. आज के दिन स्त्रियां मनचाहे वर और पति की लंबी आयु के लिए भी व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं.
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हरियाली तीज की पूजा का समय:
पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.
22 जुलाई: तृतीय तिथि का आरंभ- शाम 7 बजकर 22 मिनट
23 जुलाई: तृतीया तिथि का समापन- शाम 05 बजकर 03 मिनट
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पंचांग के मुताबिक तृतीया तिथि का आरंभ 22 जुलाई को शाम 7 बजकर 22 मिनट से हो चुका है. लेकिन पूजा और व्रत का संकल्प 23 जुलाई को ही लिया जाएगा. 23 जुलाई को सुबह स्नान करने के बाद पूजन आरंभ करें. इस दिन साफ मिट्टी से भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति बनाकर पूजा करें. थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पित करें. भगवान शिव को वस्त्र और प्रिय चीजों का भोग लगाएं. इसके बाद तीज की कथा सुनें. पूजा समापन से पहले शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें.