Hajj 2020: इस साल हज की शुरुआत जुलाई की 29 जुलाई से होने जा रही है. सऊदी अधिकारियों ने सोमवार को इस बारे में बताया. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण बहुत सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को हज की इजाजत दी गई है. पाबंदियों के साथ घरेलू और प्रवासियों को मिलाकर कुल 10 हजार लोग हज कर सकते हैं. हज का आयोजन पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी की याद में किया जाता है. उनके पिता इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देकर मुसलमानों के लिए नमूना छोड़ा.


आपको बता दें कि हज पांच दिनों तक चलता है.


हज और कुर्बानी


चांद नजर आने के साथ ही हज का महीना शुरू हो गया है. मुसलमानों के लिए ये महीना कुर्बानी का भी होता है.


कुर्बानी की कहानी क्या है?


हज अल्लाह के प्रति बाप-बेटे की बेइंतेहा मुहब्बत और उनकी फरमाबरदारी (बात मानने) की मिसाल है. जब दोनों ने अल्लाह के फरमान के आगे अपना सिर झुका दिया. इब्राहिम ने अपनी पत्नी और बेटे इस्माइल को रेगिस्तान में अकेला छोड़ने का फैसला किया.


जब पिता इब्राहिम को बेटे को कुर्बान करने का हुक्म दिया गया तो उन्होंने अल्लाह के हुक्म का पालन करने के लिए बेटे को कुर्बान करने के लिए लिटा दिया. इस्माइल की गर्दन पर जब छुरी चलने ही वाली थी कि अल्लाह ने बेटे इस्माइल की जगह पर एक जानवर की कुर्बानी कर दी. कुर्बानी की उस घटना के बाद से हर मालदार मुसलमान पर आयोजन को फर्ज कर दिया गया.


हज


इसके अलावा बाप-बेटों की बसाई हुई जगह पर आर्थिक रूप से संपन्न मुसलमानों को जिंदगी में एक बार जाना लाजिमी बनाया गया. इसे ही हज कहा जाता है. हज का चांद नजर आने के साथ ही कुर्बानी करनेवालों को दाढ़ी और नाखुन का काटना मना हो जाता है. ईद की नमाज पढ़ने के बाद मुसलमानों को कुर्बानी की इजाजत होती है.


हालांकि इस बार कोरोना वायरस के कारण परिस्थिति बिल्कुल अलग है. संक्रमण फैलने से बचाव के लिए जगह-जगह लॉकडाउन लगाए गए हैं. ऐसे में कुर्बानी और ईदगाह में नमाज पर भी उसका साया पड़ना लाजिमी है.


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