Bhadrapad Guru Pradosh Vrat 2022 Date and Time: भाद्रपद माह का दूसरा प्रदोष व्रत 8 सितंबर 2022 को है. गुरुवार के दिन आने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. समस्त दोष का निवारण है प्रदोष व्रत, इसके प्रभाव से वैवाहिक जीवन, संतान सुख, रोगों से मुक्ति और ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. इस दिन प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त में देवों के देव महादेव और उनकी अर्धांगिनी माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. भादो का गुरु प्रदोष शुभ योग का संयोग लेकर आ रहा है. आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि.


भाद्रपद गुरु प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त (Bhadrapad Guru Pradosh Vrat 2022 Muhurat)


भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि आरंभ - 8 सितंबर 2022, 12.04 AM


भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि समापन - 8 सितंबर 2022, 09.02 PM


गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - 8 सितंबर 2022, शाम 06:40 - रात 08:58 तक (पूजा अवधि - 02 घंटे 18 मिनट)


ब्रह्म मुहूर्त: 04:37 AM - 05:23 AM


अभिजित मुहूर्त: 11:59 PM - 12:49 PM


विजय मुहूर्त: 02:29 PM -  03:19 PM


गोधूलि मुहूर्त: 06:27 PM - 6:51 PM


भाद्रपद गुरु प्रदोष व्रत 2022 शुभ योग (Bhadrapad Guru Pradosh Vrat 2022 shubh yoga)


महादेव की पूजा प्रदोष व्रत में शाम के समय उत्तम मानी जाती है. इस दिन रवि योग का संयोग भी बन रहा है. रवि योग में सूर्य का प्रभाव तेज होता है, इसमें की गई शिव-पार्वती की पूजा कार्यों में सफलता प्रदान करती है.


रवि योग- 01:46 PM -  06:10 PM (9 सितंबर 2022)


गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि (Bhadrapad Guru Pradosh Vrat Puja Vidhi)



  • गुरु प्रदोष के दिन प्रात: काल स्नान के बाद शिव जी के समक्ष व्रत का संकल्प लें. प्रतिदिन की तरह ही भोलेनाथ की पूजा करें.

  • प्रदोष व्रत की पूजा संध्या में शुभ मानी जाती है. सुबह की पूजा के बाद शाम को भी नहाकर सा‌फ वस्त्र पहने. फिर शिवलिंग की पूजा शुरु करें.

  • प्रदोष काल शुभ मुहूर्त में शिवलिंग का अभिषेक करें. भोलेनाथ को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद चढ़ाएं. अब उन्हें भांग, बेलपत्र, धतूरा, आंक के फूल, अर्पित करें.  मां पार्वती का भी पूजन करें.

  • भोग लगाएं और धूप, दीप जलाकर शिव चालीसा का पाठ करें. साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. अब प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और अंत में महादेव की आरती करें.

  • जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए. साथ ही चावल की खीर का भोग महादेव को अर्पित कर गरीबों को बांटना चाहिए.


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