हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. गुरुनानक जयंती इस साल 30 नवंबर को मनाई जा रही है. गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु माने जाते हैं. कहा जाता है कि बचपन से ही गुरु नानक देव का आध्यात्मिकता की तरफ काफी रुझान था और वह सत्संग और चिंतन में लगे रहते थे.


30 साल की उम्र तक गुरु नानक देव का ज्ञान परिपक्व हो चुका था और परम ज्ञान हासिल होने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य का प्रचार किया. गुरु नानक देव की जयंती को सिख धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा से प्रकाश पर्व या गुरु पर्व के तौर पर मनाते हैं. कहा जाता है कि ईश्वर की तलाश की खातिर गुरु नानक ने 8 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया था.


गुरु नानक देव का झुकाव बचपन से ही आध्यात्म की तरफ होने के कारण उन्होंने सांसारिक कामों से दूरी बना ली थी. वे लगातार ईश्वर और सत्संग की तरफ रुचि लेने लगे थे. ईश्वर के प्रति गुरु नानक का समर्पण काफी ज्यादा था, जिसके कारण लोग उन्हें दिव्य पुरुष मानने लगे. गुरु नानक जयंती यानी प्रकाश पर्व के मौके पर गुरुद्वारों में शब्द-कीर्तन का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही अलग-अलग जगहों पर लंगर भी लगाए जाते हैं.


वहीं प्रकाश पर्व पर घरों में भी लोग सिख गुरुबाणी का पाठ करते हैं और गुरुनानक देव को याद करते हैं. इस दिन जुलूस और शोभा यात्रा भी निकाली जाती है. इसके जरिए गुरु नानक देव की ओर से दिए गए संदेश लोगों तक पहुंचाए जाते हैं. वहीं इस दौरान सिख धर्म के धार्मिक ग्रंथ श्री गुरुग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर गुरुद्वारा लाया जाता है.


ये दिए थे संदेश


गुरु नानक देव ने समाज को एकजुटता के लिए कई संदेश दिए. गुरु नानक देव का कहना था कि भगवान एक है और भगवान सभी जगह पर है. इसके साथ ही गुरु नानक देव का कहना था कि हमेशा मेहनत करनी चाहिए और लोगों की सहायता करनी चाहिए. गुरु नानक देव का कहना था कि महिलाओं का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए.


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