Pregnancy, Garbh Sanskar: भारत में चिकित्सा इतिहास का वर्णन सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) से मिलता है. लेकिन बात करें गर्भावस्था (Pregnancy) से जुड़े माता-शिशु के स्वास्थ्य के बारे में तो इसका वर्णन वैदिक युग से माना जाता है.


वेदों में ऋग्वेद और अर्थवेद में गर्भस्थापन, गर्भवृद्धि, प्रसवविधि, प्रसवपरिचर्चा आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है. वहीं शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण गर्भोपनिषद्, छान्दोग्योपनिषद् और नारायणोपनिषद् आदि में माता और शिशु के स्वास्थ्य रक्षा का वर्णन है. इन चिकित्सा पद्धति में गर्भवती स्त्री के पोषण को भी महत्व दिया गया, जिससे कि गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर ढंग से हो सके.



हिंदू धर्म और शास्त्रों की बात करें तो इसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कारों के बारे में बताया गया है, जिसमें पहला गर्भाधान संस्कार, दूसरा पुंसवन संस्कार और तीसरा सीमन्तोन्नयन संस्कार होता है. ये तीनों संस्कार गर्भावस्था, गर्भ में पल रहे शिशु और गर्भवती महिला से संबंधित है. हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि, गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा के लिए गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे कि पैदा होने वाला संतान स्वस्थ, गुणी और संस्कारी हो.


गर्भ में संतान हो तो गर्भवती महिला जरूर करे ये काम


गर्भावस्था में गर्भ संस्कार करें. गर्भ संस्कार का अर्थ है गर्भ से ही बच्चे में संस्कार डालना, जोकि अजन्मे बच्चे को शिक्षित करता है. इसलिए गर्भवती होते ही महिला को दूसरी तिमाही की शुरुआत से ये काम जरूर करने चाहिए. मान्यता अनुसार आइये जानते हैं इसके बारे में.



  • शांत और मधुर संगीत के साथ आराम करें.

  • भागवत् गीता का पाठ करें. इससे गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में मदद मिलती है.

  • रामायण का पाठ करने से मानसिक स्थिति संतुलित होती है.

  • छोटी-छोटी कहानियों वाली बच्चों की किताबें पढ़ें.

  • भगवान गणेश से जुड़ी किताबें और ग्रंथ पढ़ें. क्योंकि भगवान गणेश ‘मूलाधार चक्र’ के स्वामी है, जो स्पाइन के नीचे स्थित है. यह शिशु के जन्म से संबंधित अंगों की आवश्यकता पर जोर देता है.

  • गर्भावस्था में गणेश अथर्वशीर्ष पढ़ने से शिशु को मानसिक रूप से मजबूती मिलती है और अंग मजबूत होते हैं.

  • गर्भावस्था में 'ऊं' का उच्चारण करना भी अच्छा होता है. इससे शिशु प्रतिक्रिया देता है.

  • ज्योतिष के अनुसार, गर्भवती महिला को अपने कमरे में भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की फोटो रखनी चाहिए. बाल गोपाल की फोटो को बार-बार देखने से गर्भवती महिला का मन प्रसन्न रहता.


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