Ganesh Sankashti Chaturthi: अधिकांश लोग इस बात से अनजान हो सकते हैं कि हर महीने दो चतुर्थी व्रत आते हैं. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कही जाती है. साल की अंतिम संकष्टी चतुर्थी 22 दिसंबर को पड़ने जा रही है. संकष्टी चतुर्थी जैसा नाम से ही साफ है कि मुश्किलों को खत्म करने वाली होती है. इस दिन व्रत रखकर गणेशजी की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यता है कि अगर किसी महीने में संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ रही विशेष लाभदायी मानी जाती है. मंगलवार को इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. चतुर्थी बुधवार को होने पर काफी शुभ होती है, क्योंकि बुधवार का दिन गणपति का होता है.


पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
गणपतिजी का इस दिन सच्चे दिल से उनकी पूजा और व्रत करता है तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. परिवार के सभी कष्ट दूर होते हैं और कर्ज खत्म हो जाता है.


संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि
- पूजा के लिए गणेश प्रतिमा ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें.
- पहले पूजा का संकल्प लें और जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें.
- एक थाली या केले का पत्ता लेकर रोली से त्रिकोण बनाना है. अग्र भाग पर घी का दीपक रखें. 
- मसूर दाल और सात लाल साबुत मिर्च रखें. पूजा के बाद चंद्रमा को शहद,चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजा के बाद लड्डू प्रसाद खाएं. 
- भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए गणेशजी पर बेल फल चढ़ाएं. 
- पारिवारिक विपदा से मुक्ति के लिए गणेश जी पर चढ़े गोलोचन से घर का तिलक करें.
- रुके मांगलिक कार्य संपन्न करने के लिए शक्कर मिली दही में छाया देखकर चढ़ाएं.


पूजा के दौरान जाप करें
"ॐ भक्तविघ्नविनाशनाय नमः॥"
पूजन मुहूर्त: रात 20:15 से रात 21:15 तक (अमृत काल)
चंद्र दर्शन मुहूर्त: रात 20:30 से रात 21:30 तक


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