Navratri 2023, Hinglaj Mata Mandir: शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होने वाली है. नवरात्रि में मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है. इस दौरान देवी के 51 शक्तिपीठ में अलग ही रोनक रहती है.


नवरात्रि का पर्व भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि यहीं पहला शक्तिपीठ बना था. ये मंदिर कौन सा है और क्या है इसका इतिहास आइए जानते हैं.


पाकिस्तान में है हिंगलाज शक्तिपीठ (Hinglaj Shaktipeeth in pakistan)


पाकिस्तान में माता हिंगलाज का सिद्ध पीठ है. इसे 51 शक्तिपीठ में पहला स्थान प्राप्त है. हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगोल नदी के किनारे अघोर पर्वत पर स्थित है. यह इलाका पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर है. यहां छोटी सी गुफा में माता की मिट्‌टी से बनी शिला की पूजा की जाती है. हिंगलाज को हिंगुला भी कहा जाता है और कोटारी शक्तिपीठ के तौर पर भी जाना जाता है.


हिंगलाज को मुस्लिम मानते हैं हज (Nani Ka Mandir)


हिंदू इसे शक्तिपीठ मानते हैं और मुस्लिम संप्रदाय के लोग इसे नानी का हज कहते हैं. पाकिस्तान के मुस्लिम भी हिंगलाज माता पर आस्था रखते हैं और मंदिर को सुरक्षा प्रदान करते हैं. वे इस मंदिर को नानी का मंदिर कहते है. मंदिर की प्रबंधक कमेटी में हिंदू और मुसलमान दोनों हैं.


कैसे बना पहला शक्तिपीठ (First Shaktipeeth)


धार्मिक मान्यता है कि जब सतयुग में देवी सती ने अपना शरीर अग्निकुंड में समर्पित कर दिया था, तो भगवान शिव ने सती की देह को लेकर तांडव करने लगे, ब्रह्मांण में उथल-पुथल मच गई. फिर भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया था. कहा जाता है कि सती के शरीर का पहला टुकड़ा सिर का एक हिस्सा पाकिस्तान में अघोर पर्वत पर गिरा था. इस तरह यहां पहला शक्तिपीठ बना.


कैसे पड़ा माता का नाम ‘हिंगलाज’ (Hinglaj mata katha)


पौराणिक कथा के अनुसार यहां पर हिंगोल नाम का एक कबिला राज करता था, हंगोल बहादुर राजा था लेकिन उसके दरबारी उसे पसंद नहीं करते थे. राजा के वजीर ने राजा को कई बुरे कर्मों की लत लगा दी जिससे कबिले के लोग परेशान हो गए. तब उन्होंने देवी से राजा को सुधारने की प्रर्थना की. माता ने उनकी प्रार्थना को सुन लिया. इस तरह से कबिले की प्रतिष्ठा बरकरार रही, तभी से यहां देवी को हिंगलाज माता के नाम से जाना जाने लगा.


Tripindi Shradha: त्रिपिंडी श्राद्ध क्यों करते है ? जानें महत्व, नहीं किया तो सालों तक भटकेगी पूर्वजों की आत्मा


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.